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कनेर के पौधे की संम्पूर्ण जानकारी।

कनेर के पौधे के विविध नाम : 

करवीर, अशवरोधक, कुन्द, गौरीपुष्प, दिव्यपुष्प, प्रतिहास, प्रचण्ड शतप्रास शतकुम्भ, शतकुन्द, स्थलकुमुद।  

कनेर के पौधे का सामान्य परिचय :

कनेर का पौधा अत्यन्त उपयोगी होता है।  इसके द्वारा अनेक प्रकार के पयोगों को सम्पन्न किया जाता है।  

कनेर के पौधे का स्वरूप : 

कनेर (सफेद कनेर ) का पौधा 5 फुट से लेकर 10 फुट तक ऊँचा होता है।  इसके पत्ते -हरे रंग के, लम्बे और चिकने होते हैं।  इसके फूल सफेद रंग के होते हैं।  

कनेर के पौधे के प्रकार : 

कनेर अनेक प्रकार का होता है जैसे – सफेद कनेर (शवेत कनेर), लाल कनेर, गुलाबी कनेर, पीला कनेर, काला कनेर आदि।  लेकिन सबसे ज्यादा सफेद कनेर ही देखने को मिलता है, अन्य प्रकार के कनेर आसानी से देखने को नहीं मिलते हैं।  इसलिये आम बोल -चाल की भाषा में सफेद कनेर को ही कनेर कहकर पुकारा जाता है।  कहने का मतलब यह है कि – अगर कहीं पर ‘कनेर’ शब्द का उल्लेख हो तो उसे ‘सफेद कनेर’ ही समझना चाहिये।  

कनेर के पौधे के गुण -धर्म : 

इसका स्वाद कड़वा और विषैला होता है।  इसका गुण -धर्म -गर्म और खुश्क होता है।  

गणेश गई को प्रसन्न करने के लिये – ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री गणेश जी को लाल कनेर के फूल अत्यन्त प्रिय हैं।  लाल कनेर को – रक्त कनेर, गणेश पर वह आदि नामों से भी पुकारते हैं। लाल कनेर का फूल न मिलने पर गुलाबी कनेर का प्रयोग करना चाहिये – इससे भी वही लाभ प्राप्त होता है।  

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कनेर के पौधे का औषधीय प्रयोग : 

कनेर का अनेक रोगों के उपचार में प्रयोग किया जाता है जैसे – प्रमेह, कुष्ट रोग, फोड़ा, रक्त -विकार, बवासीर आदि।  कनेर – घरों और बगीचों में सजावट के लिये लगाया जाता है।

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