साग-सब्जियों का हमारे दैनिक भोजन में महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि ये विटामिन, खनिज लवण, कार्बोहाइड्रेड, वसा व प्रोटीन के अच्छे स्रोत होते हैं। बाजार में आज कल सभी प्रकार की सब्जियाँ उपलब्ध हैं पर यह जरुरी नहीं की वह ताजी हों।
विशेष तौर पर शाकाहारियों के लिए आज के दौर में शुद्ध सब्जी मिलना बहुत मुश्किल हो गया है। इसीलिए आप अपने घर के आँगन में, घर की छत पर या आपके पास कोई खली जमीन हो तो आप आसानी से सब्जी बगीचा (किचन गार्डन) बना सकते हैं। इससे आपको शुद्ध सब्जियाँ भी मिलेंगी और साथ ही इन्हे बेचकर आप कुछ पैसे भी कमा सकते हैं। भोजन शास्त्रियों एवं वैज्ञानिकों के अनुसार संतुलित भोजन के लिए एक व्यस्क व्यक्ति को प्रतिदिन 85 ग्राम फल एवं 300 ग्राम सब्जियों का सेवन करना चाहिए। जिसमे लगभग 125 हरी पत्तेदार सब्जियाँ, 100 ग्राम जड़ वाली सब्जियाँ और 75 ग्राम अन्य प्रकार की सब्जियों का सेवन करना चाहिए। परन्तु वर्तमान में इनकी उपलब्धता मात्र 190 ग्राम है।
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इसमें जगह का चुनाव, किस्मो का चयन स्थिति के आधार पर ही सुनिश्चित किया जाता है। सब्जी बगीचा का आकर भूमि की उपलब्धता एवं व्यक्तियों की सँख्या पर निर्भर करती हैं। सामान्यतः चार से पाँच व्यक्तियोँ वाले परिवार के लिए 200-300 वर्ग मीटर भूमि पर्याप्त होती है और कम पड़े तो भी निराश होने की जरुरत नहीं है। अपने पास उसके लिए और भी कई विकल्प हैं। …..
घर पर सब्जियां कहा-कहा लगा सकते हैं। …….
घर के आस-पास खली पड़ी जमीन पर :- हमारे घर के आस-पास ऐसी बहुत खाली जगह पड़ी होती है। जिसका उपयोग सब्जी उगाने के लिए किया जा सकता है। यदि वहाँ की मिट्टी ठोस हो तो उसे खुदाई करके खेत जैसा बना लें और संभव हो सके तो उसमें किसी तालाब की उपजाऊ मिट्टी या गोबर की खाद डालकर अच्छी तरह जुताई कर लें। उसके बाद उसमें छोटी-छोटी क्यारियाँ बना कर, उसमें आप अपनी मन पसंद की सब्जियाँ ऊगा सकते हैं। यदि आपको सिंचाई के पानी की कमी हो तो किचन से निकले व्यर्थ पानी को आप पाइप के द्वारा सब्जियों की सिंचाई कर सकते हैं।
गमले और प्लास्टिक ट्रे में :- गमले में सब्जी उगाने के लिए आपको ज्यादा जगह जरुरत नहीं पड़ती है, बालकनी या ऐसी थोड़ी सी भी जगह जहाँ गमले रख सकते हैं वहाँ बहुत आसानी से सब्जियाँ उगा सकते हैं। गमला मिटटी का हो तो बहुत अच्छा होता है। इसके आलावा आप अपने घर पर पड़ी ख़राब बाल्टियों, तेल के पीपे, लकड़ी की पटरियाँ आदि उपयोग कर सकते हैं। बस उनके नीचे 2 – 3 छेद करके पानी की निकासी जरूर कर दें। गमलों में टमाटर, बैंगन, गोभी जैसी सब्जियाँ आसानी से उगाई जा सकती हैं। टिन या प्लास्टिक ट्रे जिसमे 2 या 3 इंच मिट्टी आती हो उसमें हम हरा धनिया, मेथी, पुदीना आदि सब्जियाँ उगा सकते हैं।
घर की छत पर :- सब्जियां लगाने से पहले छत पर एक मोटी प्लास्टिक की चादर बिछा दें फिर ईंटों या लकड़ी के पट्टों से चार दीवारी बना लें उसमें सामान सामान रूप से मिट्टी बिछा दें और पानी की निकासी भी रखे। छत पर सब्जियां लगाने से गर्मी के दिनों में आपका घर भी ठंडा रहता है जिससे आपको काफी राहत मिलेगी।
घर में कौन-कौन सी सब्जी लगा सकते हैं। ….
रबी के मौसम की सब्जियाँ :- रबी में सब्जियाँ सितम्बर-अक्टूबर में लगा सकते हैं जैसे फूल गोभी, पत्तगोभी, शलजम, बैंगन, मूली, गाजर, टमाटर, मटर, सरसों, प्याज, लहसुन, पालक, मेथी आदि।
खरीफ के मौसम की सब्जियाँ :- खरीफ में लगाने का समय जून-जुलाई है। इस समय भिंडी, मिर्च, लोबिया, अरबी, टमाटर, करेला, लौकी, तरोई, शकरकंद आदि सब्जियों को उगा सकते हैं।
जायद की सब्जियाँ :- जायद में सब्जियां फरवरी, मार्च या अप्रैल में लगाई जाती है। इसमें टिंडा, खरबूजा, तरबूज, खीरा,ककड़ी, टेगसी, करेला, लौकी, तरोई, भिंडी जैसी सब्जियां लगा सकते हैं।
सब्जी बगीचे के लाभ :-
1 . घर के चारों ओर खाली भूमि और व्यर्थ पानी व कूड़ा-करकट का सदुपयोग हो जाता है।
2 . मनपसंद सब्जियों की प्राप्ति होती है।
3 . साल भर स्वास्थ्यवर्धक, गुणवत्ता युक्त व सस्ती सब्जी, फल व फूल प्राप्त होते रहते हैं।
4 . परिवार के सदस्यों का मनोरंजन व व्यायाम का अच्छा साधन है, जिससे शरीर स्वस्थ रहता है।
5 . पारिवारिक व्यय में बचत होती है।
6 . सब्जी खरीदने के लिए अन्यत्र जाना नहीं पड़ेगा।
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सब्जी बगीचा लगाने हेतु ध्यान देने योग्य बातें :-
1 . घर के पिछले हिस्से में ऐसी जगह का चयन करें जहाँ सूरज की रोशनी पहुँचती हो क्योंकि सूरज की रोशनी से ही पौधे का विकास संभव है। पौधों को रोज 5 – 6 घंटे की धुप मिलना जरुरी होता है। इसीलिए बगीचा छाया वाली जगह पर न बनायें।
2 . सब्जी बगीचे के एक किनारे पर खाद का गड्डा बनायें जिसमें घर का कचरा, पौधों का अवशेष डाला जा सके जो बाद में सड़कर खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सके।
3 . बगीचे की सुरक्षा के लिए कंटीले झांडी व तार से बाड़ लगाएं, जिसमे लता वाली सब्जियां लगाएं।
4 . सब्जियों व पौधों की देखभाल एवं आने-जाने के लिए छोटे-छोटे रास्ते बनायें।
5 . आवश्यकतानुसार सब्जियों के लिए छोटी-छोटी क्यारियां और क्यारियों के सिंचाई हेतु नालियाँ बनाये।
6 . फलदार वृक्षों को पश्चिम दिशा में किनारों पर लगाएं जिससे छाया का प्रभाव अन्य पौधों पर न पड़ें।
7 . मनोरंजन के लिए उपलब्ध भूमि के हिसाब से मुख्य मार्ग पर लॉन(हरियाली ) लगाएं।
8 . फूलों को गमलों में लगाएं एवं रास्तों के किनारे पर रखें।
9 जड़ वाली सब्जियों को मेड़ों पर उगायें।
10 . समय-समय पर निराई – गुड़ाई एवं सब्जियों और फल-फूलों के तैयार होने पर तुड़ाई करते रहें।
11 . सब्जियों का चयन इस प्रकार करें की साल भर उपलब्धता बानी रहे।
12 . कीटनाशकों व रोगनाशक रसायनों का प्रयोग कम से कम करें यदि फिर भी उपयोग जरुरी हो तो तुड़ाई के बाद एवं प्रभाव वाले रसायनों का प्रयोग करें।