Posted on 3 Comments

जाने क्यों लगाया जाता है घरों में गिलोय का पौधा, होता है शुभ।

Buy Giloy Plant

कोरोना काल में रोग प्रति-रोधक क्षमता बढ़ाने के लिए औषधीय पौधे का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। ‘एनबीटी जड़ी-बूटी ‘ अभियान में ऐसे औषधीय पौधों की पूरी जानकारी मिलेगी, ताकि आप इनका आसानी से इस्तेमाल कर सकें और अपनी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकें। इसके तहत आज गिलोय से जुड़ी हर जानकारी आपको मिलने वाली है। 

गिलोय, एक औषधीय पौधा है जो इन दिनों कोरोना की वजह से ज्यादा चर्चा में है और लोग इसका इस्तेमाल भी अभी खूब कर रहे हैं। इम्यून सिस्टम को स्ट्रांग करने और लिवर से जुड़ी बीमारियों में काफी असरदार गिलोय के बारे में हर घर में बाते हो रही हैं। जब से कोरोना का संक्रमण फैला है और इससे बचाव के लिए काढ़ा भी लाभकारी बताया गया है, तब से गिलोय का सेवन हर कोई कर रहा है। न केवल आयुष मंत्रालय बल्कि पीएम मोदी जी ने भी काढ़ा पीने की अपील की है और गिलोय का काढ़ा में इस्तेमाल भी खूब हो रहा है। इसीलिए आज हम आपको इस मेडिसिनल प्लांट से जुड़ी हर जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं। आप अपने किचन गार्डन और बालकनी के गमले में इसे लगा सकते हैं और रोजगार की इच्छा रखते हैं तो इसकी खेती भी कर सकते हैं। 

गिलोय क्या है। ( What is Giloy )

गिलोय का वानस्पतिक नाम टोनोस्पोरा कार्डियोफेलिया है, जिसे आयुर्वेद में गिलोय के नाम से जाना जाता है। संस्कृत में इसे अमृता कहा जाता है, क्योंकि यह कभी नहीं मरता है। गिलोय भारतीय मूल की बहुवर्षीय बेल है। इसके बीज काली मिर्च की तरह होते हैं। इसे मई और जून में बीज या कटिंग के रूप में बोया जा सकता है। मानसून के वक्त यह तेजी बढ़ता है। इसे बहुत धूप की जरुरत नहीं होती है। कई प्रदेशों में इसकी खेती होती है।

गिलोय का इस्तेमाल (use of Giloy )

कोविड- 19 से बचाव के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए गिलोय का इस्तेमाल हो रहा है। लोग पाउडर, जूस और काढ़े के रूप में इसका इस्तेमाल कर रहें हैं। इसके पत्ते और तना दोनों का इस्तेमाल किया जाता है। इसे घर के गमलों, किचन गार्डन, टेरेस गार्डन और बगीचे में आसानी से लगाया जा सकता है। इन सभी जगहों पर गिलोय की बेल आसानी से फैल सकती है। इसका तना ऊँचा चढ़ता है तथा हवा से नमी लेता है। फसल के तौर पर इसे तैयार होने में करीब 10 महीने लगते हैं। एक हेक्टेयर में इसकी खेती कर 60 से 70 हजार का मुनाफा हो सकता है। 

गुणों की खान है गिलोय 

  • गिलोय की खासियत के कारण इसके कई नाम हैं। मसलन, अमृता, गुडची, गुणबेल
  • यह एंटी बैक्टीरियल, एंटी एलर्जिक, एंटी डायबिटीज़ और दर्द निवारक होता है। 
  • इसके तने को जूस, पाउडर, टेबलेट,काढ़े या अमृतारिष्ट के रूप में लेने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। 
  • जिन लोगो की इम्युनिटी कम हो, उन्हें गिलोय का सेवन करने की सलाह दी जाती है। 
  • यह ऑटो इम्यून डिसार्डर, बुखार, हाथ पैर की जलन, शरीर दर्द, डायबिटीज, लाइफ स्टाइल डिसार्डर और पेशाब की जुड़ी समस्याएँ दूर करने में काम आती हैं। 
  • गिलोय का रोजाना इस्तेमाल बीमारियों से दूर रखता है। कोई बीमारी हो भी जाये तो इलाज के दौरान भी इसका सेवन ज्यादा प्रभावकारी होता है। 

फाइबर और प्रोटीन भी

गिलोय में 15.8 % फाइबर होता है। इसके साथ 4.2 से 11.2 % तक प्रोटीन, 60 फीसदी कार्बोहाइड्रेड और 3 फीसदी से कम फैट मिलता है। इसके आलावा पोटैशियम, आयरन और कैल्शियम भी होते हैं।

कैसे करें इस्तेमाल 

  • आयुर्वेद के मुताबिक, गिलोय के तने का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके लिए 5 से 6 इंच लम्बा और अंगूठे के बराबर मोटा तना लें। पानी मिलाकर इसे कूटें और रस निकल लें। इस रस को रोजाना 10 से 20 मिली इस्तेमाल किया जा सकता है। 
  • काढ़े के इस्तेमाल के लिए तने को चार गुने पानी लेकर उबाल लें। काढ़ा आधा या चौथाई रह जाये तो उसे छान कर पी लें। 
  • पाउडर के तौर पर इस्तेमाल के लिए गिलोय के तने छाँव में सूखा लें। फिर कूट लें। इसके बाद मिक्सर में पाउडर बना लें और कपड़े से छान लें। 
  • बाजार में गिलोय की गोलियाँ भी मिलती हैं। वैद्य या चिकित्सक की सलाह पर इनका सेवन कर सकते हैं। 
  • बाजार में अमृतारिष्ट भी आता है। इसे भोजन के बाद आधा कप पानी के साथ ले सकते हैं। इसके अलावा अमृतादि गुग्गुल का भी फार्मुलेशन मिलता है। 

लागत 15 से 20 हजार

गिलोय को अमूमन फलों के बाग में उगाया जाता है। खेतों में उगाने पर लागत थोड़ी बढ़ जाती है। सहफसली के तौर पर एक हेक्टेयर में 15 से 20 हजार और खेत में 30 से 40 हजार की लागत लगती है। एक हेक्टेयर खेत में करीब 2500 कटिंग की जरुरत पड़ती है। इसकी कटिंग 3 मीटर की दूरी पर लगनी चाहिए और गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट का ही इस्तेमाल करना चाहिए। मई जून में कटिंग लगाने के बाद फरवरी मार्च में इसके तने इस्तेमाल के लायक हो जाते हैं। एक हेक्टेयर में 10 से 8 कुन्टल तना मिलता है। इसकी कीमत 23 से 30 रुपये प्रति किलोग्राम होती है। दिल्ली की नर्सरी में आमतौर पर गिलोय उगाया जाता है। दिल्ली सरकार की नर्सरी में गिलोय निःशुल्क लिया जा सकता है जबकि आमतौर पर गिलोय की बेल गमले में लगाने के लिए लगभग 30 से 50 रुपये में मिल जाती है। कोरोना काल में खुदरा मार्केट में यह कहीं-कहीं 100 रुपये तक भी बिक रहा है। इसकी मांग लगभग दो गुनी हो चुकी है।

बीज बोएं तो 2 से 3 इंच का फासला रखें

गिलोय के बीज एक घंटा पानी में भिगो दें। थाली जैसे किसी बर्तन में, मिटटी, खाद और मौरंग के मिश्रण की 2 से 3 इंच मोटी परत लगायें। बीज बोयें और 2 से 3 इंच का फासला रखें।  फिर हल्के पानी का छिड़काव कर दें। पौधा निकल आये तो दूसरे गमले में लगा दें।

कटिंग वही रोपें, जहाँ गांठ हो 

कटिंग रोपने के लिए पेंसिल के बराबर मोठे तने का इस्तेमाल करें, जिसमें गांठें हो। एक तने की लम्बाई एक बालिश तक लें। ऊपर से तिरछा और नीचे से गोल रखें। कटिंग को गोल वाले हिस्से को जमीन, गमले या थैले में दबा दें। गांठ से नए कल्ले निकल आएंगे। 

गिलोय सत्व से भी अच्छी कमाई 

बाजार में गिलोय सत्व की भी खूब डिमांड है। ऐसे में यह भी कमाई का अच्छा जरिया बन सकता है। सत्व निकालने के 20 किलो गिलोय का तना इकट्ठा करें। इसके छोटे-छोटे टुकड़े करें। एक बार पानी में साफ कर दुबारा इसका पानी निकाल लें। छाने गए पानी को रात भर छोड़ दें। नीचे स्टार्च जमा हो जायेगा। अगले दिन ऊपर का पानी हटा दें। फिर नीचे जमा सत्व को सूखा लें। लगभग 5 किलो गिलोय में 100 ग्राम सत्व निकलता है। बाजार में इसकी कीमत करीब 8000 रुपये किलो तक है।   

3 thoughts on “जाने क्यों लगाया जाता है घरों में गिलोय का पौधा, होता है शुभ।

  1. Only wanna input on few general things, The website design is perfect, the articles is real great : D. Kirsteni Marius Ishmael

  2. Hello, after reading this awesome piece of writing i am also happy to share my familiarity here with friends. Effie Quinn Rana

  3. I consider something truly interesting about your website so I saved to bookmarks . Lynnette Abel Margret

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *