अगर आपके फल वाले पौधों में फल नहीं आते तो उस पौधे का सीजन आते ही उस पौधे की 3 से 4 इंच तक गुड़ाई कर दें। और उसकी मिट्टी को भुरभुरी करके सूखा लें। फिर उसमे कम्पोस्ट खाद मिला लें। आपको इस बात का ध्यान रखना है कि खाद 300 से 400 ग्राम ही हो और खाद पूरी तरह से सड़ी हुई हो कच्ची न हो। इसमें काैमिकल खाद का उपयोग न करें। उसके बाद उस पौधे पर आप उस कम्पोस्टकी परत बिछा दें। फिर उस कम्पोस्ट की परत के ऊपर मिट्टी की परत बिछा दें। जिससे वो आपके पानी डालते समय गिरे या बहे नही। फिर आप पहली बार धीमे हाथों से इसमें पानी दे जिससे मिट्टी उखड़े नहीं। फिर आपको इसका रिजल्ट जल्द ही दिखने लगेगा।
ड्रैगन फ्रूट का पौधा लगाने से पहले इसके बारे में जानकारी होना बहुत ही जरुरी है। ड्रैगन फ्रूट कैक्टस प्रजाति का पौधा है। इनका बोटेनिकल नाम hylocereus undatus हैं। ड्रैगन फ्रूट मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं।
यह फल देखने में बहुत ही सुन्दर होता है। खाने में बहुत ही स्वादिष्ट और न्युट्रिशन से भरपूर होता है। ड्रैगन फ्रूट के बहुत सारे हेल्थ बेनिफिट्स होते हैं और कीमत के मामले में भी यह कम नहीं है।
ड्रैगन फ्रूट को लगाने के तरीके:- ड्रैगन फ्रूट को लगाने के दो तरीके होते हैं।
बीज से :-ड्रैगन फ्रूट के बीजों को निकाल के मिट्टी में छिड़क देने से ड्रैगन फ्रूट का पौधा 10 से 15 दिन में निकल आएगा। लेकिन यह तरीका बहुत ही पुराना और धीमी प्रोसेस का है। इस विधि से लगाए गए पौधों को फल देने में 4 से 5 साल का समय लग जाता है।अतः इस तरीके से ड्रैगन फ्रूट को ना लगायें।
कटिंग से :-ड्रैगन फ्रूट का पौधा कटिंग से ही लगाना चाहिए क्योंकि इस विधि में लगाए गए पौधे 1 साल के अंदर ही फल देने लगते हैं और इसका प्रोसेस भी बहुत ही आसान होता है। आप किसी आस-पास की नरसरी से लाकर लगा सकते हैं। आप हमारी वेबसाइट bonsaiplantsnursery.com से भी ड्रैगन फ्रूट के पौधे को उचित दरों पर घर बैठे माँगा सकते हैं।
ड्रैगन फ्रूट को कटिंग विधि से लगाने का तरीका :- ड्रैगन फ्रूट के लिए बलुई मिट्टी को बहुत ही अच्छा माना गया है। ड्रैगन फ्रूट को लगाने के लिए आप बलुई मिट्टी ले और उतनी ही मात्रा में कम्पोस्ट ले जितनी मात्रा में आपने मिट्टी ली है। दोनों को अच्छी तरह से मिलाने के बाद तैयार मिट्टी को गमले में डाल के ड्रैगन फ्रूट का छोटा सा पौधा या उसकी कटिंग को लगा दीजिये और थोड़ी मात्रा में पानी डाल दें।
ड्रैगन फ्रूट की देखभाल करने के बेहतरीन तरीके :-अगर निम्नलिखित तरीकों से ड्रैगन फ्रूट की देखभाल करेंगे तो आपका ड्रैगन फ्रूट का पौधा बहुत जल्दी ग्रोथ करेगा और अधिक मात्रा में फल देगा।
ड्रैगन फ्रूट के पौधे को ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती है। अतः इसे ज्यादा पानी न दें।
ड्रैगन फ्रूट के पौधे को 1 से 2 महीने के बाद खली का पानी जरूर दें।
ड्रैगन फ्रूट के पौधे पर हफ्ते में दो बार नीम आयल का स्प्रे करते रहना चाहिए।
ड्रैगन फ्रूट के पौधे की शाखाओं को बाँस की पतली डंडियों के सहारे से बाँध दें।
ड्रैगन फ्रूट के पौधे को 2 महीने में एक बार सिर्फ एक मुट्ठी बोनमिल नामक फर्टिलाइज़र देना चाहिए।
ड्रैगन फ्रूट के फायदे :- ड्रैगन फ्रूट नुट्रिशन से भरपूर होता है। इसमें कैल्शियम, फास्फोरस, ऑयरन, विटामिन-B, विटामिन-C के साथ कार्बोहाइड्रेड, प्रोटीन और फैट्स भी होते हैं। आइए इसके फायदे जाने।
जिन लोगो को मधुमेह है, उनके लिए ड्रैगन फ्रूट एक राम बाण है। ड्रैगन फ्रूट के सेवन से मधुमेह कंट्रोल में रहता है। अतः ड्रैगन फ्रूट को मधुमेह ग्रसित लोगो को जरूर खाना चाहिए।
ड्रैगन फ्रूट में फाइवर की मात्रा अधिक होती है। अतः यह त्वचा के लिए बहुत ही लाभकारी होता है। इसके साथ-साथ फाइवर अधिक होने आपका पाचन तंत्र सही ढंग से काम करता है और कब्ज जैसी समस्याओं से छुटकारा दिलाता है।
ड्रैगन फ्रूट में एंटीऑक्सीडेंट अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं, जो आपकी त्वचा को सुन्दर और जवान बनाये रखते हैं।
ड्रैगन फ्रूट के सेवन से बालों का झड़ना बंद हो जाता है और आपके बाल चमकदार हो जाते हैं।
जिन लोगो को अपना वजन काम करना हैं उनको ड्रैगन फ्रूट का सेवन जरूर करना चाहिए क्योकि ड्रैगन फ्रूट में फाइवर की अच्छी मात्रा होती है जो वजन को कम करती है।
ड्रैगन फ्रूट के सेवन से कैंसर के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
ड्रैगन फ्रूट के सेवन से अस्थमा, खाँसी और श्व्सन सम्बन्धी समस्याएँ दूर होती हैं।
ड्रैगन फ्रूट में आयरन पाया जाता है जो खून की कमी को दूर करता है।
ड्रैगन फ्रूट के कुछ नुकसान :- जैसा की आपने ड्रैगन फ्रूट के फायदे के बारे में जाना और यह तो आप सभी जानते हैं जिसके फायदे हैं उसके नुकसान भी होते हैं। किसी भी चीज की अति नुकसान दायक होती है। ड्रैगन फ्रूट को जरुरत से ज्यादा सेवन करने से आपके मल-मूत्र का रंग लाल हो सकता है और दस्त का कारण भी बन सकता है। अतः ड्रैगन फ्रूट का सेवन सीमित मात्रा में करें।
अगर आपके गमले में लगे अनार के पौधे में फल नहीं आ रहे और फूल आते है और गिर जाते हैं। तो हमारे द्वारा बताये गए इन बेहतरीन तरीके को जरूर अपनायें। अगर बताये गए तरीकों को आप आजमाते हैं तो आपका अनार का पौधा पहले से बेहतर और ज्यादा मात्रा में फल देने लगेगा।
किसी भी पौधे के लिए सबसे ज्यादा जरुरी होती है मिटटी, अगर आप सही मिटटी का चयन करते हैं तो आपका पौधा स्वस्थ रहेगा। आईये बात करते हैं अनार के पौधे की अनार के पौधे के लिए सबसे अच्छी मिट्टी बलुईदोमट मिट्टी होती है।
अनार के पौधे में गोबर की खाद डालने से अनार का पौधा स्वस्थ रहता है और पहले से ज्यादा फल देता है। अगर गोबर की खाद ना मिल पा रही हो तो आप वर्मीकम्पोस्ट का भी उपयोग कर सकते हैं।
अनार के पौधे को उस समय पानी देना बंद कर दे जब उस पर फूल आ रहे हो। 2 से 3 दिन के अंतराल पर ही पानी देना चाहिए।
अगर आपका अनार का पौधा फल नहीं दे रहा है तो उसके मिट्टी को बदल दे और बड़े गमले का ही उपयोग करें। क्योंकि अनार की जड़ें मूसलाजड़ें होती हैं उनको फैलाने के लिए ज्यादा जगह को आवश्यकता होती है।
आप अपने अनार के पौधे पर सी.बिट फर्टिलाइज़र का छिड़काव कर सकते हैं। इसके छिड़काव से आपका अनार का पौधा अधिक मात्रा में फल देगा।
आप अपने अनार के पौधे पर नीम के फर्टिलाइज़र का भी छिड़काव कर सकते हैं। नीम के फर्टिलाइज़र का छिड़काव करने से आपका अनार का पौधा कीड़े- मकोड़ो से भी बचा रहेगा और पहले से ज्यादा फल देगा। जो आप घर में आसानी से बना सकते हैं।
आप अपने अनार के पौधे की मिटटी में आलू और केले के छिलके मिलाने से आपका अनार का पौधा पहले से ज्यादा अच्छा ग्रो करेगा और अधिक फल भी देगा।
अगर आपके घर के गमले में अमरुद का पौधा लगा है और आपके अमरुद के पौधा में फल नहीं आ रहे हैं तो हमारे द्वारा बताये गए इन तरीकों को जरूर आजमाएं। आपका अमरुद का पौधा फलों से लद जायेगा।
अमरुद के पौधे से अधिक से अधिक फल पाने के लिए उसे 2 से 3 फीट के गमले में लगाना चाहिए।
अमरुद के पौधे को हलकी चिकनी ,काली या दोमट मिट्टी में लगाने से अमरुद के फलों की पैदावार ज्यादा होती है।
आप अगर अमरुद के पौधे से बहुत ही कम समय में और ज्यादा मात्रा में फल पाना चाहते हैं, तो हमेशा कलमी (Grafted ) पौधा ही लगाएं।
अमरुद के पौधे से अधिक फल पाने के लिए अमरुद के पौधे की साल में 2 से 3 बार प्रूनिंग (शाखा का ऊपरी भाग 1 से 2 इंच काटना ) कर दें।
गमले में लगे अमरुद के पौधे को हर 20 दिन बाद कम्पोस्ट या वर्मीकम्पोस्ट देना चाहिए। इससे पौधे की आवश्यकताओं की पूर्ति होती रहती है।
अमरुद के पौधे को धूप की ज्यादा जरुरत होती है। अतः उसे ऐसी जगह रखें जहाँ वो पर्याप्त मात्रा में धूप पा सके।
अमरुद के पौधे को अन्य पौधों की अपेक्षा पानी की ज्यादा जरुरत होती है। अतः गमले में लगे अमरूद के पौधे को सुबह – शाम दोनों समय पानी देना चाहिए।
एप्सम साल्ट (मैगनीशियम सल्फेट ) या सागरिका नाम के फर्टिलाइजर की एक चम्मच मात्रा को 1 लीटर पानी में डाल के अमरुद के पौधे पर छिड़काव करने से अमरुद के पौधे में फलों की पैदावार ज्यादा हो जाती है।
गमले में लगे अमरुद के पौधे की समय – समय पर गोड़ाई करते रहें।
गमले में लगे अमरुद के पौधे पर नीम की पत्तियों द्वारा बनाई गयी फर्टिलाइजर का छिड़काव करने से अमरुद के पौधे पर कीड़े नहीं लगेंगे और आपका अमरुद का पौधा अधिक मात्रा में फल देगा।
नोट – नीम की पत्तियों से घर पर ही फर्टिलाइजर बनाये। यहाँ क्लिक करें।
अगर आपके घर में भी z plant लगा हुआ है, तो आज हम आपको ऐसे 7 बेहतरीन तरीके बतायेंगे। जिससे आप अपने z plant की देखभाल अच्छे से कर सकें।
z plant को पानी की ज्यादा जरुरत नहीं होती है इसलिए z plant को 2 से 3 दिन के अंतराल पर ही पानी देना चाहिए।
अगर आपका z plant 3 से 4 साल का हो चूका है तो उसकी repotting (मिटटी को बदलना ) कर दें।
z plant को ज्यादा धूप की जरूरत नहीं होती है इसलिए उसे ऐसे स्थान पर रखे जहाँ 3 से 4 घंटे की धूप रहती हो।
अगर आपके z plant की पत्तियों पर सफेद दाग जैसा फंगल इन्फेक्शन है तो 1 लीटर पानी में 1-1 चम्मच white vinegar और baking soda डाल के पत्तियों पर छिड़काव कर दें।
z plant पर कभी भी shop water और oil का छिड़काव नहीं करना चाहिए। इससे z plant ख़राब हो जाता है।
z plant पर समय- समय पर नीम oil का स्प्रे सबसे बेस्ट और हेल्पफुल भी रहता है।
आप जब भी z plant लगाए तो मिटटी के गमले में ही लगाएं।
अगर आपके घर भी नीम्बू का पौधा लगा है और आप चाहते हैं कि आपके नीम्बू के पौधे में पत्तियों से ज्यादा नीम्बू के फल हो तो नीचे दिए गये 5 तरीकों को जरूर आजमायें।
आप नीम्बू का पौधा जिस मिटटी में लगा रहे है, उस मिटटी का PH मान 5.5 और 6.6 के बीच में होना चाहिए।
आपको नीम्बू के पौधे में महीने में 2 बार वर्मीकम्पोस्ड, कम्पोस्ड,सड़ी हुई गोबर की खाद और नीम की खली डालनी चाहिए।
नीम्बू के पौधे को हमेशा 16 इंच या उससे बड़े गमले में लगाना चाहिए और ऐसी जगह रखे जहां खुली जगह हो और धूप पर्याप्त मात्रा में आती हो।
नीम्बू के पौधे को ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती है। अतः जिस गमले में लगाए उसकी तली में छेद कर दे जिससे पानी की मात्रा ज्यादा न हो सके।
नीम्बू के पौधे में जो सूखी शाखायें हो उन्हें समय-समय निकलते रहिये।
अगर आप भी चाहते हैं अपने नीम्बू के पौधे से फलों की बरसात तो ऐसे करें अपने नीम्बू के पौधे की देखरेख।
समय-समय पर आपको नीम्बू के पौधे की जो सूखी शाखाएँ हैं, उन्हें काटते रहना चाहिए।
नीम्बू के पौधे को ज्यादा पानी की जरुरत नहीं होती है। अतः आपको 2 से 3 दिन के अंतराल पर ही पानी देना चाहिए
महीने में 2 बार आपको नीम्बू के पौधे में सड़ी हुई गोबर की खाद डालनी चाहिए।
समय-समय पर नीम्बू के पौधे की मिटटी की अच्छे से गोड़ाई करते रहना चाहिए।
नीम्बू के पौधे को ऐसी जगह रखें जहां पर्याप्त मात्रा में 6 से 7 घंटे की धूप आती हो।
जब आपके नीम्बू के पौधे में फूल आने लगे तब आपको नीम्बू के पौधे को पानी बहुत ही सीमित मात्रा में देना चाहिए। जब आप नीम्बू के पौधे को फूलों के समय अधिक मात्रा में पानी देंगे तो उनके फूल झड़ जायेंगे। जिससे फूल फल में तब्दील नहीं होगा।
आपको नीम्बू का पौधा हमेशा मिटटी और सीमेंट के गमले ही लगाना चाहिए। गमले का आकार 16 इंच या उससे बड़ा होना चाहिए।
आपको समय-समय पर नीम्बू के पौधे की एयर लेयरिंग करते रहना चाहिए।
सबसे पहले इन पौधों में जो नयी कलियाँ या नये पत्ते आये तो इस सर्दियों के मौसम में इनको अच्छी तरीके से काट लेंगे।
अगर आपके पौधों में बहुत ज्यादा पत्ते है तो उनको हल्का – हल्का काट लेंगे। और अगर कम है तो उसको छोड़ देंगे।
इन पौधों पर 15 से 20 दिन पर नीम ऑइल ( नीम का तेल )का छिड़काव करते रहेंगे जिससे इन पर किट ( कीड़े ) न लग सकें।
इन पौधों के गमले में जो घास उग जाते हैं उनको समय – समय पर साफ करते रहें।
आप इन पौधों को सर्दि के मौसम में 3 से 4 दिन में एक बार ही पानी डालें क्योंकि सर्दियों के मौसम में पानी जल्दी सूख नहीं पाता जिससे पौधे सड़ जाते हैं।
आप पौधों में पानी तभी डालें जब उस पौधे की मिट्टी में नमी हो अथवा उस पौधे की मिट्टी जब सूख जाये।
सर्दियों के मौसम में कोशिश करें की पौधों को धूप वाली जगह पर रखें ताकि पौधों को धूप मिल सके।
अगर आपकी तरफ ज्यादा सर्दी होती है तो आप पौधों के गमलों में नारियल का छिल्का या पत्थर के छोटे आकर के टुकड़े भी डाल सकते हैं। जिससे उनको गर्मी मिलती रहें।
सर्दियों के मौसम में आप पौधों में खाद न डालें। आपको अगर डालना है तो आप इसमें लिक्विड फटिलाइजर ( काम मात्रा में )डाल सकते हैं।
आपको इस बात का भी ध्यान रखना है की जो ओश होती है वो इन पौधों पर डायरेक्ट न पड़े।
इन सब बातों को ध्यान में रखने से आपके पौधे सर्दियों में भी हरे – भरे रहेंगे और सर्दियों के बाद गर्मी के मौसम में आपको अच्छे फल – फूल देंगे।
अगर आपने भी अपने घर में फल के पौधे लगाए हैं और उसमे फल नहीं आ रहे हैं तो आज हम आपको 5 ऐसे तरीके बताने जा रहे हैं जिसे आजमाकर आप भी अपने पौधों से ढेर सारे फल पा सकते हैं।
आपको हमेशा ग्राफ्टेड (कलमी ) पौधा ही अपने गमलों में लगाना चाहिए। जो की बहुत ही कम समय में अच्छे फल देने लगते हैं।
पौधों की समय- समय पर एयरलेयरिंग करते रहना चाहिए। इसे गुट्टी विधि के नाम से भी जाना जाता है।
आप जब भी पौधा लगाए तो उसकी मिटटी में गोबर की खाद (जो अच्छे से डिकम्पोस होनी चाहिए और लगभग 2 साल पुरानी होनी चाहिए ) को अच्छे से मिला के पौधा लगाना चाहिए।
आप अपने पौधे को ऐसी जगह लगाए जहां धूप पर्याप्त मात्रा में आती हो।
आपको पौधा लगा देने के बाद हर 15 दिन बाद अपने पौधे में गोबर की खाद डालते रहना चाहिए।
अगर आपने अपने गमले में चीकू लगाया है और उसमे चीकू नहीं आ रहे हैं तो नीचे दिए हुए बातों को जरूर पढ़ें।
आप जब भी चीकू का पौधा लगाए तो ग्राफ्टेड (कलमी )पौधा ही लगाए क्योंकि जो ग्राफ्टेड (कलमी ) पौधे होते हैं वो बहुत ही कम समय में ही फल देना शुरू कर देते हैं। बीज वाले पौधों की तुलना में , बीज वाले पौधे फल देने में लगभग 10 से 12 साल का समय ले लेते हैं। ग्राफ्टेड (कलमी ) पौधे 2 से 3 साल के अंदर ही फल देना शुरू कर देते हैं।
आपने जिस गमले में चीकू लगाया है उसमें डी.ए.पी. और गोबर की सड़ी हुई खाद को गमले की मिट्टी में मिला दें क्योंकि इस खाद में पूर्ण पोषक तत्त्व मिले होते हैं, जो चीकू के पौधे को स्वस्थ रखते हैं। जिस कारण से चीकू का पौधा पहले से अधिक मात्रा में फल देने लगता है।
सर्दियों में चीकू की पत्तियाँ सर्दी और पाले से ख़राब हो जाती हैं तो आपको सर्दी से उसे बचाना है।
चीकू की पत्तियों पर कीड़े लग जाने पर उस पर नुमान और सायपर नामक दवाओं का छिड़काव करना चाहिए।
समय समय पर गमले की मिटटी की गोड़ाई करते रहिये जिससे उसमे खर – पतवार ना उगने पाएँ।
आप जब भी चीकू का पौधा नर्सरी से लाये और जिस मिट्टी में पौधा लगा हो उसे मिट्टी से ना निकले ऐसा करने से उसकी जड़े टूट जाती हैं और आपका पौधा सूख जायेगा। आप उस मिट्टी को किसी चीज से मार के ढीला कर लीजिये इससे पौधे की जड़ भी नहीं टूटेगी।