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अपराजिता के पौधे में ज्यादा फूल लाने का सरल तरीका

अगर आपके अपराजिता के पौधे में फूल नहीं आ रहे हैं या केवल या इक्का दुक्का फूल आ रहे हैं तो आप कुछ नुस्खों को अपना कर अपने अपराजिता को फूलों से भर सकते हैं।
आप अपने पौधे ने आधा चम्मच epsom salt को आधा लीटर पानी मे घोलकर छिडक़ाब कर सकते हैं, साथ ही शेष पानी को जड़ में डाल सकते हैं।
अथवा आप फिटकरी का एक टुकड़ा लीजिए इसे दो घंटे तक 1 लीटर पानी मे डाल कर रखिये फिर इस पानी को अपने अपराजिता के पौधे में डालिये।
पानी में  10 ग्राम

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मिलाकर डालने से सभी तरह के पौधों में  फल और फूल ज्यादा संख्या में और बड़े साइज़ के आते है।

याद रहे ये  कार्य आपको तभी करने हैं, जब आपके अपराजिता की मिट्टी एकदम सूखी हुई हो।
अपराजिता
अपराजिता
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हरसिंगर या पारिजात के पौधे को कटिंग से लगाने का सबसे सरल तरीका

पारिजात के पौधे को हरसिंगार भी कहा जाता है और यह बेहद पवित्र पौधा माना जाता है। नारंगी डंडी और खूबसूरत सफेद फूल को आपने कई जगहों पर देखा होगा, इसी फूल को हरसिंगार कहा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि जिस घर में हरसिंगार का पौधा होता है, उस घर में माता लक्ष्मी का वास होता है।हरसिंगर या पारिजात के पौधे को कटिंग से आसानी से लगाया जा सकता है।

harsingar-parijaat plant home delivery
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हरसिंगार या पारिजात के पौधे की कटिंग लगाने का सही समय अक्टूबर का महीना होता है। पारिजात के पौधे की एक अच्छी 5-6 इंच लंबी शाखा लीजिए और इसके निचले छोर को 45° के कोण से काट लीजिये। नीचे से आधी दूरी तक के सारे पत्ते हटा दीजिये। यदि रूटिंग हार्मोन उपलब्ध है तो प्रयोग कीजिये अन्यथा प्याज का अर्क या एलोवेरा का जेल निचले तिरछे कटे हुए हिस्से पर लगा लीजिए, हैं तो वह कटिंग पर लगा सकते हैं, मिट्टी तैयार करने के लिए 40% मिट्टी, 30% वर्मीकम्पोस्ट या गोबर की खाद और 15% रेत और 15% कोको पीट या धान की भूसी को अच्छे से मिलाकर गमले में भरिए और कटिंग के लगभग आधे भाग को मिट्टी में दबकर और पानी डालकर गमले को ऐसे जगह पर रखिये जहां सुबह की हल्की धूप कुछ देर के लिए मिल सके तेज धूप से कटिंग को बचाकर रखिये। मिट्टी में लगातार नमी बनाये रखें, ज्यादा पानी देने से बचें। जड़ें निकलने में कम से कम 4 से 6 हफ्तों का समय लग सकता हैं, जब कटिंग में नई-नई पत्तियाँ निकलने लगें तो समझ जाये कि कटिंग लग गई हैं।

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कपूर के पौधे के वास्तु एवं ज्योतिषीय लाभ….

हम सभी अपने घर की पूजा में कपूर जलाते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि कपूर कहां से आता है? कैसा होता है इसका पौधा? क्या इस पौधे को घर में लगा सकते हैं, लगा लिया तो क्या फायदे होंगे?*
आजकल जो प्रचलित कपूर हम लाते हैं वह केमिकल्स के बने होते हैं। कपूर एक विशालकाय पेड़ से प्राप्त होते हैं जिनका चिकित्सकीय लाभ कमाल का होता है। केमिकल्स वाले कपूर में मेडिसिनल वैल्यू बहुत कम होती है। कपूर का पेड़ लंबे समय तक चलने वाला सदाबहार वृक्ष है।
इसका वृक्ष भारत, श्रीलंका, चीन, जापान, मलेशिया, कोरिया, ताइवान, इन्डोनेशिया आदि देशों में पाया जाता है। कपूर के पेड़ की लम्बाई 50 से 100 फीट तक होती है। इसके फूल, फल तथा पत्तियां सभी आकर्षक होते हैं। इसे सजावटी पेड़ के रुप में भी लोग अपनाते हैं। इसकी पत्तियां बड़ी, सुन्दर और लालिमा व हरापन लिए होती हैं। वसन्त ऋतु में इसमें छोटे-छोटे खुशबूदार फूल लगते हैं। इसके फल भी बड़े मोहक होते हैं।
कपूर के पेड़ की लकड़ियां फर्नीचर के काम में भी लाई जाती हैं। यह काफी मजबूत और टिकाऊ होती है। इसके पेड़ से प्राप्त लकड़ियों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर, तेज आंच पर उबाला जाता है फिर भाप और शीतलीकरण विधि से कपूर का निर्माण होता है। इससे अर्क और तेल भी बनाया जाता है, जिसका प्रयोग प्रसाधन एवं औषधि कार्यों में होता है।
आयुर्वेद, एलोपैथी और होमियोपैथी दवाइयों में भी कपूर का प्रयोग होता है। इसकी तासीर ठंडी है। कपूर और गाय के घी से काजल भी बनाया जाता है। यह आंखों के लिए बड़ा गुणकारी होता है।
कपूर के पौधे को हम अपने घर, बाहर, बगिया, गमले आदि कहीं भी किसी भी जगह पर लगा सकते हैं। कपूर का पौधा अच्छी सेहत का भंडार और वरदान है।
कपूर के पौधे के संपर्क में जो रहता है तो वह हमेशा स्वस्थ रहता है।
कपूर का पौधा पर्यावरण को शुद्ध करने में बहुत बड़ी मदद करता है।
कपूर का पौधा हमें प्राण वायु प्रदान करता है।
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कपूर का पौधा लगाने से घर से बीमारियां दूर हो जाती हैं।
कपूर का पौधा घर में लगाने से आसपास की सभी नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती हैं।
कपूर का पौधा अपनी सुगंध से चारों ओर के वातावरण को खुशबूदार बना देता है।
कपूर का पौधा धन की आवक को आकर्षित करता है।
कपूर का पौधा रिश्तों में मिठास लाता है।
कपूर का पौधा घर में रखने से खुशियों का आगमन होता है।
कपूर का पौधा घर और घर के सदस्यों को नजर से बचाता है।
कपूर का पौधा घर में रखने से बुरी आत्माएं घर से दूर रहती हैं।
कपूर का पौधा घर के किसी भी कोने में रख सकते हैं यह पूरे घर के वास्तु दोष को हर लेता है।
घर के बाहर रख रहे हैं तो इसे प्रवेश की तरफ से द्वार के दाएं तरफ रखें।
कपूर का पौधा घर के मंदिर के आसपास भी रख सकते हैं। इससे पूजा का फल दो गुना हो जाता है।
कपूर का पौधा तरक्की लाता है सदस्यों के बीच की तकरार को खत्म करता है।
कपूर का पौधा सेहत के लिए तो अत्यंत फायदेमंद है ही मन और आध्यात्मिक शांति के लिए भी आश्चर्यजनक रूप से लाभकारी है।
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जानिए क्यों ख़ास है अद्भुत गुणों युक्त ब्रम्ह कमल का पौधा।

ब्रह्म कमल फूलों का सम्राट कहा जाता है दरअसल उत्तराखंड का राज्य पुष्प ब्रह्मकमल को ही कहा जाता है जो कि हिमालय की चोटी में पाया जाता है। यह कमल सफेद रंग का होता है जो देखने में वाकई आकर्षक है।
जिसके खिलने पर उसकी पूजा की जाती है। इस दिव्य फूल को लेकर ऐसा माना जाता है कि इस ब्रह्म कमल के पौधों में 1 साल में एक ही बार फूल आता है, और कई बार इस पौधे में फूलों को आने में कई साल गुजर जाते हैं।
लेकिन इस फूल की सबसे रहस्यमई बात यह है कि यह सिर्फ आधी रात के बाद ही खिलते हैं और सुबह होने से पहले मुरझा भी जाते हैं । इस फूल के इसी गुण के कारण इसे ब्रह्म कमल का फूल नाम दिया गया है मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि इस रहस्यमई ब्रह्मकमल को अगर कोई भी खिलते हुए देख ले और खिलते हुए समय कोई भी अपनी मन्नत इनके सामने रख दे तो कहते हैं वह मन्नत पूरी हो जाती है। इसके अलावा हमारी ग्रंथों में भी इस दुर्लभ कमल को लेकर रहस्यमई कहानियां प्रचलित हैं, इसे स्वयं सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी का पुष्प माना जाता है।हिमालय की ऊंचाइयों पर मिलने वाला यह पुष्प अपना पौराणिक महत्व भी रखता है। इस फूल के विषय में यह माना जाता है कि मनुष्य की इच्छाओं को पूर्ण करता है।  इसका उल्लेख कई पौराणिक कहानियों में भी मिलता है।

Brahma kamal live plant for indoor garden
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कपूर का पेड़ कहाँ मिलेगा? क्या हम घर पर कपूर का पेड़ उगा सकते हैं और इसके के क्या फायदे हैं??

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कपूर या सिनामोमम कपूर एक सदाबहार पेड़ है जिसे उगाना और अपने घर के बगीचे में बनाए रखना आसान है । कपूर या सिनामोमम कपूर एक कम रखरखाव वाला सदाबहार पेड़ है जो आपके बगीचे के लिए एक बढ़िया विकल्प हो सकता है। जैसा कि पेड़ को ज्यादा देखभाल की आवश्यकता नहीं होती है, आप इसे आसानी से बिना किसी परेशानी के लगा सकते हैं।

कपूर का पौधा हमारे लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। इसकी सुगंध इतनी अच्छी होती है कि इसकी सुगंध से आसपास की सभी नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती हैं। कपूर का पौधा अपनी सुगंध से चारों ओर के वातावरण को खुशबूदार बना देता है।

कपूर के पौधे को हम अपने घर में,बाहर, कहीं भी किसी भी जगह पर लगा सकते हैं।इसे हम अपने घर में, गमले में,कहीं भी लगा सकते हैं। कपूर का पौधा केवल एक पौधा ही नहीं है अपितु यह हमारे लिए स्वास्थ्य रूपी खजाने का भंडार है।

परंतु आज हम जानेंगे कपूर के पौधे के क्या फायदे हैं?कपूर का पौधा लगाने से घर से बीमारियां दूर हो जाती हैं। अगर कोई व्यक्ति कपूर के पौधे के संपर्क में रहता है तो वह हमेशा स्वस्थ रहता है।

कपूर का पौधा लगाने से मक्खी, मच्छर ,सांप, छिपकली इत्यादि घर में नहीं आते हैं।

 

जानिए कपूर के पौधे के अद्भुद फायदे।

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महोगनी कैसे बना रहा है लोगो को मालामाल , महोगनी के पौधे के बारे सम्पूर्ण जानकारी

 

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महोगनी का वृक्ष व्यापारिक पेड़ है। इस पेड़ की लंबाई 40 से 200 फिट तक होती है लेकिन भारत में अधिकतम 60 फिट तक ही इसकी लंबाई पाई जाती है। अगर आप देखे तो विदेशों में इसकी लंबाई 200 फिट तक चली जाती है। और महोगनी में शाखाएं बहुत कम होती है केवल उपर ही शाखाएं पाई जाती है। जिससे इसकी लकड़ी काफी शानदार होती है। और इसकी मोटाई 50 इंच तक होती है। महोगनी की लकड़ी मजबूत होती है और काफी लंबे समय तक उपयोग में लाई जाती है। यह लकड़ी लाल और भूरे रंग की होती है तथा इस लकड़ी पर पानी से नुकसान का कोई असर नहीं होता है।

खेती-किसानी में दिलचस्पी, और अलग नजरिया रखने वाले लोग उन सभी पेड़ पौधों से खूब मुनाफा कमा रहे हैं जिनके बारे में लोग ज्यादा नहीं सोचते. महोगनी के पेड़ भी कुछ इसी तरह के पेड़ हैं, जिनसे आजकल किसानों को बंपर मुनाफा हो रहा है.

महोगनी पेड़/ लकड़ी की कीमत क्या है?

अगर बात करें महोगनी की लकड़ी की तो प्रति घन फीट लकड़ी की कीमत 2000 रूपये में तक जाती है। जिससे काफी अच्छा मुनाफा किसान भाई प्राप्त कर सकते हैं। और एक Mahogany tree 40,000 से 80,000 तक का बिकता है। लेकिन यह पेड़ की वृद्धि के आधार पर निर्भर होता है।

महोगनी की लकड़ी से क्या-क्या बनाया जाता है?

जैसा Mahogany tree की लकड़ी काफी मजबूत और टिकाऊ होती है। और यह पानी में जल्दी नही सड़ती है इसलिए महोगनी की लकड़ी से नाव और पानी के जहाज बनाए जाते हैं।
महोगनी की लकड़ी से बेशकीमती फर्नीचर बनाए जाते हैं। इस लकड़ी से बने फर्नीचर काफी अच्छे और मजबूत होते हैं। इसके अलावा Mahogany की लकड़ी से सजावट की चीजें, मूर्तियां आदि भी बनाए जाते हैं।
इसकी लकड़ी से हथियारों के वेत बनाए जाते है। जिससे कि औजार को मजबूती मिलती है।
महोगनी के पेड़ से अच्छी Quality के Plywood तैयार किया जाता है।
इसके बीज और फूलों का इस्तेमाल शक्तीवर्धक दवाइयों का निर्माण करने में किया जाता है।
महोगनी की पत्तियों में औषधीय गुण होता है जिससे मुख्य रूप से कैंसर, सुगर, ब्लडप्रेशर, मधुमेह और कई अन्य रोगों की दवाइयाँ बनाने मे किया जाता है।
महोगनी पेड़ के फायदे क्या है?

अगर आप महोगनी की खेती करना चाहते हैं तो महोगनी पेड़ के फायदे के बारे में जरूर जान लेना चाहिए। क्योंकि यह आपको 12 साल में करोड़पति बना देगा। महोगनी का पेड़ ऊपर से नीचे तक उपयोगी होता है। इससे आप काफी ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं। इसकी लकड़ी, फल, फूल व पत्तियाँ सभी से अच्छा खासा मुनाफा कमाया जा सकता है।

इसके अलावा आप पेड़ो के बीच खाली ज़मीन पर दलहन या तिलहन फसल को भी उगा सकते हैं। या फिर सब्जी की खेती कर सकते हैं। इसलिए जब महोगनी के पेड़ो की रोपाई कराए तो एक सीधे लाइन में ही लगाए जिससे बीच के खाली जगह पर आसानी से कोई और खेती भी की जा सके।

ये पेड़ 12 साल में बनाएंगे करोड़पति

 

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यह भूरे रंग की लकड़ी वाला पेड़ है, जिसकी लकड़ी और पत्तियां बाजार में बढ़िया कीमतों पर बिकती हैं. इनकी इतनी मांग है कि इससे किसान करोड़ों तक का मुनाफा कमा रहे हैं. विशेषज्ञों के अनुसार ये महोगनी पेड़ किसानों को 12 साल में करोड़पति बन सकते हैं. ये पेड़ उपजाऊ मिट्टी, अच्छी जल निकासी और सामान्य पीएच मान में खूब अच्छी तरह विकास करता है.

इसकी लकड़ियां जल्द खराब नहीं होती हैं. यही वजह है कि बाजार में इसकी काफी मांग है. इस लकड़ी के उपयोग से जहाज, गहने, प्लाईवुड जैसे महंगे सामान बनाए जाते हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार इस पेड़ की खेती ऐसी जगह नहीं करनी चाहिए जहां हवा का बहाव तेज हो. ऐसी जगहों पर इसके पौधों का विकास सही तरीके से नहीं हो पाता है. इसलिए पहाड़ी प्रदेशों में इसकी खेती ना करने की सलाह दी जाती है.

मच्छरों को भगाते हैं दूर

वहीं इन पेड़ों का एक और गुण है जो स्वास्थ्य के नजरिए से भी लाभकारी है. जैसा कि हम सब जानते हैं मच्छरों से कई तरह की बीमारियां होती हैं और ये पेड़ मच्छरों को दूर भगाता है. जी हां, जहां महोगनी के पेड़ लगाए जाते हैं, उसके आसपास मच्छर और कीड़े नहीं भटकते. यह पेड़ औषधीय गुणों से भरपूर है. यही कारण है कि इसकी पत्तियों और बीजों का यूज मच्छर भगाने और कीटनाशक बनाने के लिए किया जाता है.

ऐसे में आप ये पेड़ लगाने से मच्छरों से होने वाले रोगों का शिकार होने से बच जाएंगे. इसकी पत्तियों और बीजों से बनें तेल का इस्तेमाल साबुन, पेंट, वार्निश और कई तरह की दवाइयां बनाने में किया जाता है. इसके साथ ही इसकी छाल और पत्तों का इस्तेमाल कई तरह के रोगों से लड़ने के लिए किया जाता है.

किसानों के लिए कमाई का अच्छा साधन

बताया जाता है कि महोगनी के पेड़ 12 साल में तैयार होते हैं. इसके बाद इसकी लकड़ी को उपयोग में लाया जा सकता है. इसके बीज बाजार में एक हजार रुपये प्रति किलो तक बिकते हैं. वहीं इसकी लकड़ी 2000 से 2200 रुपये प्रति क्यूबिक फीट थोक में आसानी से मिल जाती है. ऐसे में अगर किसान इसकी बड़े पैमाने पर खेती करें तो अच्छी कमाई कर सकते हैं.

 

source:- https://hi.quora.com/

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जानिए कि घर की छत पर सब्जी कैसे उगा सकते हैं, क्या है इसका सही और सरल तरीका ?

 

जी हां । घर की छत पर बड़े-बड़े गमलों में सब्जियां और फल भी उगाए जा सकते हैं ।

इसके लिए आप खेत की अच्छी मिट्टी में एक चौथाई भाग बालू और आधा भाग कम्पोस्ट खाद या वर्मीपोस्ट मिला कर गमलों में भर दें ।

आप गमलों में टमाटर , लौकी , तोरई , शिमला मिर्च , हरी मिर्च , फूलगोभी , पत्तागोभी , सेम , पालक , मेंथी , मूली , खीरा , बैंगन, ककड़ी , गाजर , मूली , करैला आदि सभी उगा सकते हैं ।

नींबू , चीकू , आम्रपाली आम , चीकू , स्ट्राबेरी , अमरूद , अनार आदि भी घर में ही गमलों में बड़ी आसानी से उगाए जा सकते हैं।

मौसम के अनुसार बीज बोकर या बाजार से उनकी पौध लाकर अपने गमले में लगा दें । समय समय पर पानी डालते रहें , गमलों में उगे खरपतवारों को उखाड़ कर गुड़ाई करते रहें । बेल वाली सब्जियों जैसे खीरा , ककड़ी , लौकी , तोरई आदि के लिए बांस का एक मचान अवश्य बना दें । लौकी और तोरई में लोहे के यंत्र से गुड़ाई न करें अन्यथा फल कड़वे हो सकते हैं ।

एक बार आप घर की छत पर यह प्रयोग करके देखेंगे तो अपने अनुभव से सीखते जाएंगे और आपको बहुत आनन्द आएगा ।

 

गमलों में न केवल देसी सब्जियां उगाई जा सकती हैं, बल्कि थोड़ी सी मेहनत से विदेशी सब्जियों का भी आनंद ले सकती हैं..आजकल का मौसम सर्दियों में उगाई जाने वाली सब्जियों के लिए सबसे बेहतर है। वैसे तो अक्टूबर के पहले ही सब्जियों की बुवाई हो जानी चाहिए, लेकिन बारिश कम होने के कारण आप इन दिनों भी अपनी गृहवाटिका को सब्जियों के हिसाब से तैयार कर सकते हैं।पौध तैयार करनापौध तैयार करने के लिए कोकोपीट सबसे उपयुक्त माध्यम है। कोकोपीट को करीब 12 घंटे के लिए पानी में भिगो दें। इसके बाद कोकोपीट को मि˜ी के थालीनुमा बर्तन में करीब दो इंच की मोटाई में भर दें। इस पर लाइन से बीज बो दें। फिर इसे थोड़ा सा कोकोपीट डालकर बीजों को ढक दें। करीब चार दिन से लेकर एक हफ्ते के अंदर बीजों का अंकुरण हो जाएगा। ये अंकुरित पौधे 15 से लेकर 21 दिन के अंदर गमलों में लगाने लायक हो जाएंगे। एक बात का ध्यान रखें कि बीज हमेशा किसी अच्छी कंपनी के ही खरीदें।
गमलों को तैयार करना सब्जियों को गमलों में लगाने से पहले जरूरी है कि मि˜ी को इसके लिए तैयार कर लें। इसके लिए गोबर की खाद, मि˜ी व कोकोपीट बराबर मात्रा में मिला लें। इसमें प्रति गमले के हिसाब से 100 ग्राम हड्डी का चूरा, 50 ग्राम नीम की खली, चार-पांच ग्राम म्यूरेटा पोटाश और थोड़ा सा सल्फर मिला लें। सारी सामग्री को अच्छी तरह मिला लें। इस मिश्रण को गमले में भरने के बाद यह चेक कर लें कि गमले में नीचे से पानी निकलने की जगह बनी हुई है अर्थात गमले में पानी नहीं भरा रहना चाहिए। पौधों को गमलों में लगाने के बाद पानी जरूर देना चाहिए। दोबारा पानी तभी डालें जब पहले वाला पानी सूख जाए।देसी सब्जियांगोभी, बंदगोभी, विभिन्न प्रकार की हरी मिर्च, बैंगन, मूली, हरी मटर, टमाटर, पालक, बींस, सेम, सोयामेथी, धनियाविदेशी सब्जियांब्रोकोली, ब्रूसल स्प्राउट, चेरी टमाटर, रेड कैबेज, जुकीनी, लाल-हरी-पीली शिमला मिर्च, लाल मूली, लेट्यूस, ह‌र्ब्स जैसे बेसिल, थाइम्स, पार्सले, डिल आदि, चाइनीज कैबेजपौधों को पोषणपौधों को लगाने के करीब पन्द्रह दिन बाद 20-20-20 एनपीके का मिश्रण गमलों में डालें। बीस से पच्चीस ग्राम मिश्रण 15 लीटर पानी में मिलाकर प्रति सप्ताह डालें। इसे करीब सवा महीने तक डाल सकती हैं। सवा महीने बाद 13-0-45 एनपीके का मिश्रण उपरोक्त प्रकार से ही पानी में मिलाकर हर सप्ताह प्रयोग करें। अगर पौधों में कीड़े लग रहे हैं तो समय-समय पर दवा का उपयोग करें।

आप क्या उगाना चाहते हैं, इस बारे में तय करें: आप किन सब्जियों को सेवन करना पसंद करते है? सोचिए आप इन गर्मियों में कौन सी सब्जियाँ खाना पसंद करेंगे, और उसके मुताबिक अपनी शाक वाटिका में वह सब उगाने की योजना बनाएँ। वैसे तो ज़्यादातर सब्जियाँ अलग-अलग मौसम में अच्छी तरह से उग जाती हैं परन्तु कुछ भी उगानी से पहले यह जानना कि आपके क्षेत्र में सबसे बेहतरीन क्या उगता है, एक उच्च विचार होगा।[१]
ऐसी सब्जियों को चुनें जिन्हें अलग-अलग समय पर काटा जा सके। ऐसा करने से सभी सब्जियाँ एक समय पर मिलने के बदले वह आपको पूरी गर्मियों के दौरान मिलती रहेगी।

कुछ पौधे कुछ क्षेत्रों में ठीक से नहीं उग पाते हैं। पता करें कि जो सब्जियाँ आप उगाना चाहते हैं, कहीं उन्हें उगाने के लिए शुरुआत में ठंडे मौसम की ज़रूरत तो नहीं हैं, या तापमान के बढ़ने पर वह मुरझा या मर तो नहीं जाएंगे। यदि आप ऐसे क्षेत्र में रहते हैं जहाँ गर्मी कम पड़ती है, या बरसात ज़्यादा नहीं होती हैं, तो आपको सब्जियाँ उगाने के बारे में चुनिंदा रहना पड़ेगा।

आपको अपने क्षेत्र और जलवायु के अनुसार सब्जियों का चुनाव करना चाहिए ताकि आपकी सफलता की सम्भावना और भी प्रबल हो जाये। जैसे :-

पालक, बींस, पुदीना, धनिया, करी पत्ता, तुलसी, पुदीना, मेथी, टमाटर और बैंगन जैसी सब्जियां किसी भी छोटे गमले में आप बालकनी में आसानी से उगा सकते हैं। करेला और खीरा जैसी सब्जियों की बेलें न सिर्फ आपको फल देंगी बल्कि आपकी बालकनी की खूबसूरती भी बढ़ाएंगी। इनमें 45-50 दिन में सब्जियां आने लगती हैं।

गर्मियां: करेला, भिंडी, टिंडा, लोबिया, ककड़ी आदि। ककड़ी व बैंगन जनवरी के आखिर तक लगा दें

, जबकि बाकी सब्जियां फरवरी-मार्च में लगाएं।

सर्दियां: मूली, गाजर, टमाटर, गोभी, पत्तागोभी, पालक, मेथी, लहसुन, बैंगन, मटर आदि।

ये सभी सब्जियां अक्टूबर, नवंबर में लगाई जाती हैं।

 

सब्जियाँ उगाने के लिए सामान्य गमलों की तुलना मे 3 तरह के containers सबसे अच्छे रहते हैं –

  • grow bag
  • paint bucket
  • vegetable crate

सब्जियों की चुनिन्दा लिस्ट जिन्हें आप गमलों मे उगा सकते हैं –

  • टमाटर
  • मिर्च
  • बैंगन
  • करेला
  • लौकी
  • धनिया
  • लहसुन
  • लोबिया
  • आलू
  • पालक
  • भिंडी
  • शिमला मिर्च
  • खीरा
  • प्याज़
  • मूली
  • गाजर
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कनेर की संपूर्ण सटीक जानकारी।

 कनेर के विविध नाम : 

करवीर, अशवरोधक, कुन्द, गौरीपुष्प, दिव्यपुष्प, प्रतिहास, प्रचण्ड शतप्रास शतकुम्भ, शतकुन्द, स्थलकुमुद।  

कनेर के सामान्य परिचय :

कनेर का पौधा अत्यन्त उपयोगी होता है।  इसके द्वारा अनेक प्रकार के पयोगों को सम्पन्न किया जाता है।  

कनेर के स्वरूप : 

कनेर (सफेद कनेर ) का पौधा 5 फुट से लेकर 10 फुट तक ऊँचा होता है।  इसके पत्ते -हरे रंग के, लम्बे और चिकने होते हैं।  इसके फूल सफेद रंग के होते हैं।  

कनेर के प्रकार : 

कनेर अनेक प्रकार का होता है जैसे – सफेद कनेर (शवेत कनेर), लाल कनेर, गुलाबी कनेर, पीला कनेर, काला कनेर आदि।  लेकिन सबसे ज्यादा सफेद कनेर ही देखने को मिलता है, अन्य प्रकार के कनेर आसानी से देखने को नहीं मिलते हैं।  इसलिये आम बोल -चाल की भाषा में सफेद कनेर को ही कनेर कहकर पुकारा जाता है।  कहने का मतलब यह है कि – अगर कहीं पर ‘कनेर’ शब्द का उल्लेख हो तो उसे ‘सफेद कनेर’ ही समझना चाहिये।  

कनेर के गुण -धर्म : 

इसका स्वाद कड़वा और विषैला होता है।  इसका गुण -धर्म -गर्म और खुश्क होता है।  

गणेश गई को प्रसन्न करने के लिये – ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री गणेश जी को लाल कनेर के फूल अत्यन्त प्रिय हैं।  लाल कनेर को – रक्त कनेर, गणेश पर वह आदि नामों से भी पुकारते हैं। लाल कनेर का फूल न मिलने पर गुलाबी कनेर का प्रयोग करना चाहिये – इससे भी वही लाभ प्राप्त होता है।  

कनेर का औषधीय प्रयोग : 

कनेर का अनेक रोगों के उपचार में प्रयोग किया जाता है जैसे – प्रमेह, कुष्ट रोग, फोड़ा, रक्त -विकार, बवासीर आदि।  कनेर – घरों और बगीचों में सजावट के लिये लगाया जाता है।   

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जाने कनेर पौधे के बारे में संम्पूर्ण जानकारी।

कनेर पौधे के विविध नाम : 

करवीर, अशवरोधक, कुन्द, गौरीपुष्प, दिव्यपुष्प, प्रतिहास, प्रचण्ड शतप्रास शतकुम्भ, शतकुन्द, स्थलकुमुद।  

कनेर पौधे सामान्य परिचय :

कनेर का पौधा अत्यन्त उपयोगी होता है।  इसके द्वारा अनेक प्रकार के पयोगों को सम्पन्न किया जाता है।  

कनेर पौधे कस्वरूप : 

कनेर (सफेद कनेर ) का पौधा 5 फुट से लेकर 10 फुट तक ऊँचा होता है।  इसके पत्ते -हरे रंग के, लम्बे और चिकने होते हैं।  इसके फूल सफेद रंग के होते हैं।  

कनेर पौधे प्रकार : 

कनेर अनेक प्रकार का होता है जैसे – सफेद कनेर (शवेत कनेर), लाल कनेर, गुलाबी कनेर, पीला कनेर, काला कनेर आदि।  लेकिन सबसे ज्यादा सफेद कनेर ही देखने को मिलता है, अन्य प्रकार के कनेर आसानी से देखने को नहीं मिलते हैं।  इसलिये आम बोल -चाल की भाषा में सफेद कनेर को ही कनेर कहकर पुकारा जाता है।  कहने का मतलब यह है कि – अगर कहीं पर ‘कनेर’ शब्द का उल्लेख हो तो उसे ‘सफेद कनेर’ ही समझना चाहिये।  

कनेर पौधे गुण -धर्म : 

इसका स्वाद कड़वा और विषैला होता है।  इसका गुण -धर्म -गर्म और खुश्क होता है।  

गणेश गई को प्रसन्न करने के लिये – ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री गणेश जी को लाल कनेर के फूल अत्यन्त प्रिय हैं।  लाल कनेर को – रक्त कनेर, गणेश पर वह आदि नामों से भी पुकारते हैं। लाल कनेर का फूल न मिलने पर गुलाबी कनेर का प्रयोग करना चाहिये – इससे भी वही लाभ प्राप्त होता है।  

कनेर पौधे का औषधीय प्रयोग : 

कनेर का अनेक रोगों के उपचार में प्रयोग किया जाता है जैसे – प्रमेह, कुष्ट रोग, फोड़ा, रक्त -विकार, बवासीर आदि।  कनेर – घरों और बगीचों में सजावट के लिये लगाया जाता है।   

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अशोक के पेड़ के बारे में संम्पूर्ण जानकारी।

अशोक के पेड़ के विविध नाम :
आशा, केलिक, हेमपुष्प, रक्तपल्लव, ताम्रपल्लव, दोहली, प्रपल्लव, मधुपुष्प, विचित्र, विशोक, शोकहता, शोकविनाशन, सुभग। 

अशोक के पेड़ के विविध भाषाओं में नाम :
बंगाली -अस्याल।  गुजराती -आसोपालव। मराठी -अशोषक।  लैटिन -सरका इण्डिका, जोनोसिया अशोका।  

अशोक के पेड़ का सामान्य परिचय :
अशोक का वृक्ष -हम हिन्दुओं में बहुत ही अधिक सम्मान प्राप्त है।  प्रायः सभी शुभ अवसरों पर अशोक की पत्तियों को सुतली आदि की सहायता से गर के दरवाजों पर बाँधा जाता है – इस प्रकार से पत्तियों की तैयार लड़ियों को ‘बन्दनवार कहा जाता है।  ऐसी मान्यता है कि -इनको बाँधने से घर में प्रवेश करने वाली वायु शुध्द हो जाती है और सभी प्रकार की बाधायें आदि बाहर ही रह जाती हैं -इससे शुभ कार्य बहुत अच्छी तरह से सम्पन्न होते हैं और उनमे किसी प्रकार की कोई बाधा नहीं आती है। 

अशोक के पेड़ का उत्पत्ति एवं प्राप्ति -स्थान :
अशोक का वृक्ष प्रायः पूरे देश में पाया जाता है।  वर्तमान समय में इसको -उद्यानों, मन्दिरों, विद्यालयों आदि में लगाया जाता है।  इसके अतिरिक्त, धनवान लोग ऐसे अपने घरों में भी लगाते हैं

अशोक के पेड़ के स्वरूप : 
यह एक सदाबहार वृक्ष होता है जो कि पूरे वर्षभर हरा -भरा बना रहता है।  इसका तना एकदम सीधा होता है और पत्ते लम्बे व् नुकीले होते हैं वसन्त ऋतु में इस पर फूल आते हैं जो कि नारंगी -लाल रंग के और गुच्छेदार होते हैं।

अशोक के पेड़ के गुण -धर्म :
यह कषाय, कटु, ग्राही है।  यह बवासीर, दाह, अत्यधिक प्यास आदि रोगों को दूर करता है और त्वचा का रंग भी साफ करता है।  यह स्त्रियों के विशेष रोगों जैसे – मासिक -धर्म से संबंधित विकार प्रदर, गर्भाशय की शिथिलता आदि को दूर करता है। 

आशिक के पेड़ का औषधीय प्रयोग :
स्त्री -रोगों के नाश के लिये -स्त्रियोंके प्रायः सभी विशिष्ट रोगों में अशोक बहुत ही लाभप्रद सिध्द होता है।  अशोक के वृक्ष की छाल को उबालकर पीने से स्त्रियोंके रोग नष्ट होते हैं और उनका स्वास्थ्य उत्तम बना रहता है।