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काजू के पौधे को घर में कैसे लगाए और कैसे ढेर सारे काजू पाये।

काजू का परिचय :- काजू एक प्रकार का पेंड है जिसका फल सूखे मेवे के लिए बहुत लोकप्रिय है। काजू का आयात-निर्यात एक बड़ा व्यापार भी है। काजू से कई प्रकार की मिठाइयाँ और अन्य चीजे बनायीं जाती हैं। काजू का पेंड तेजी से बढ़ने वाला पेंड है जो काजू और काजू का बीज पैदा करता है। काजू की उत्त्पति ब्राजील में हुई है। लेकिन आज काजू को दुनिया भर में उगाया जाता है। सामान्य तौर पर काजू का पेंड 13-14 मीटर तक होता है। हालाँकि काजू की बौनी कल्टीवर प्रजाति जो 6 मीटर की ऊंचाई तक होती है। जल्दी तैयार होने और ज्यादा उपज देने की वजह से बहुत फायदेमंद साबित हो रहा है।

सही पौधा :- आप जब भी काजू को अपने घर में लगाए तो हायब्रिड पौधा ही लगाए। यह घर के गमलों में आसानी से उग जाता है और कुछ ही समय के अंदर हमें इससे काजू प्राप्त होने लगते हैं।

मिटटी और जलवायु :- काजू को अपने पुरे भारतवर्ष में कही भी उगाया जा सकता है। जिन इलाको में तापमान 20 डिग्री सेल्शियस के ऊपर होता है वहा काजू की फसल बहुत अच्छी होती है। काजू को किसी भी प्रकार की मिटटी में उगाया जा सकता है। लेकिन अगर काजू को रेतीली लाल मिटटी में उगाया जाये तो बहुत अच्छे परिणाम मिल सकते हैं। 

गमला :- काजू की जड़ें अधिक फैलती हैं। अतः जब भी काजू के पेंड को लगाए तो कम से कम 2 फ़ीट के गमले में ही लगाए। पौधा अच्छे से ग्रोथ कर पायेगा।

काजू लगाने का सही समय :- काजू को किसी भी मौसम में लगाया जा सकता है। लेकिन दक्षिण एशियाई क्षेत्र में जून से दिसम्बर तक का समय उत्तम माना जाता है। 

खाद और उर्वरक :- काजू की फसल खाद डालने पर अच्छा परिणाम देती है। इसलिए पर्याप्त मात्रा में सही वक्त पर खाद और उर्वरक डालना बेहद जरुरी है। खाद के रूप में वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग कर सकते हैं। 

काजू के प्रकार :- काजू की कई उन्नत और हायब्रिड या वर्णसंकर किस्मे उपलब्ध हैं। अपने क्षेत्र या हमारी वेबसाइट Bonsai Plants Nursery.com से भी आप काजू को उचित दरों पर प्राप्त कर सकते हैं। 

काजू के स्वास्थ्य संबंधी फायदे 

  •  ह्रदय रोग से लड़ने में सक्षम 
  • उच्च रक्तदाब को कम करने में 
  • तंत्रिका तंत्र को मजबूत करने में 
  • पित्त-पथरी को रोकने में 
  • वजन को कम करने में
  • हड्डियों के लिए फायदेमंद 
  • कोलोन, प्रोस्टेट और लिवर कैंसर को रोकने में सहायक 
  • स्वस्थ दिमाक के स्वस्थ संचालन में सहायक 
  • मधुमेह के खतरे को कम करता है। 
  • त्वचा के स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। 
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घर में सेब का पौधा कैसे लगाएं और कैसे ढेर सारे फल पायें।

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सेब फलों का राजा तो नहीं पर राजा से कुछ कम भी नहीं! फलों में सबसे ज्यादा खेती सेब कि की जाती है। इसके 2 बड़े कारण हैं। 

  • पहला तो ये की सेब को लम्बे समय तक स्टोर कर के रखा जा सकता है। 
  • दूसरा ये की सेब स्वास्थ्य का सबसे बड़ा खजाना है जो की जीरो कैलोरी में हमें भरपूर पौष्टिकता देता है बल्कि तो ” an apple a day keeps the doctor away” हमें पता ही है। 

सेब का परिचय :- सेब यूरोप के जरिये पूरी दुनिया में फैला। अंग्रेजों ने चाय की तरह ही सेब को भी भारत लाये। शुरुआत में 100 किस्मो के पौधे हिमाचल प्रदेश में लगाए गए। जो की यहाँ से शुरू होकर धीरे-धीरे पुरे हिमालय क्षेत्र में फैल गया। अब की अगर बात की जाये तो जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के बाद अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड एवं दक्षिण भारत के नीलगिरि पहाड़ियों में भी इसकी खेती होती है। हालाँकि वैज्ञानिक ये भी कहते हैं कि सेब अगर सबसे पहले पैदा हुए थे तो वो जगह थी मध्य एशियाई देश कजाखिस्तान में कहा जाता है कि आज भी वहाँ सैंकड़ों नस्ले अब भी फल-फूल रही है। 

सही पौधे का चयन :- सबसे पहले तो आपको सही पौधे का चयन करना जरुरी होता है। आप अक्सर नर्सरी से पौधा लाकर लगा देते हैं और ये जानने की कोशिश भी नहीं करते की ये किस किस्म का पौधा है देशी है या ग्राफ्टेड(कलमी ) है। आपको घर के पौधे के लिए हमेशा ग्राफ्टेड पौधे ही लगाने चाहिए क्योंकि ये गमले में बहुत ही आसानी से उगाये जा सकते है और बहुत ही कम वक्त में फल देने लगते हैं। 

मिटटी कैसी हो :- सेब के पौधे के लिए सबसे अच्छी मिटटी रेतीली लाल मिटटी मानी जाती है। मुख्य्तः सेब की खेती को बलुई मिटटी और दोमट मिटटी में भी देखा गया है। तो यह कहा जा सकता है की सेब को बलुई और दोमट मिटटी में भी ऊगा सकते हैं। 

गमला :- अगर आप घर में सेब का पेंड गमले में लगा रहे हैं तो गमले की गहराई कम से कम 2 फ़ीट तक होनी चाहिए क्योंकि सेब की जड़ें गहराई तक जाती है। 

लगाने का सही समय :- सेब को वैसे तो किसी भी जलवायु या मौसम में लगाया जा सकता है लेकिन अगर सेब को जनवरी और फरवरी के महीने में लगाना और भी अच्छा होता है। 

याद रखने वाली बातें 

  • हमेशा रोग प्रतिरोधी पौधों का ही उपयोग करना चाहिए। 
  • हमेशा अच्छी जड़ प्रणाली वाले एक साल के पेड़ ही खरीदने चाहिए। 
  • लगाने से पहले पौधों की जड़ों को पानी में भिगो देना चाहिए। 
  • पौधा लगाने के बाद तुरंत पानी डाले। 
  • सेब के पौधे को बड़े जंगली पौधों के पास न लगाए। 
  • नया पौधा लगाने के बाद ग्राफ्टिंग बिंदु से लगभग 30 सेंटीमीटर ऊपर से काट देना चाहिए। 

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आप घर में अंगूर के पौधे को कैसे उगा सकते हैं।

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हमारे देश में व्यावसायिक रूप से अंगूर की खेती पिछले कई छः दशकों से की जा रही है आज महाराष्ट्र में सबसे अधिक जगहों पर अंगूर की खेती की जा रही है। खेती के सा-साथ लोग अंगूर की बेलों को अपने घरों में भी लगा रहे है।

      तो आज हम ये बताने जा रहे है कि अंगूर के पौधे को घर में कैसे लगाए और उनसे फल कैसे प्राप्त करें।

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पौधे की परख :- सबसे जरुरी बात जो है वो ये की आपने सही पौधा चुना है या नहीं। आप अगर चाहते हैं कि आपका अंगूर का पौधा जल्दी से जल्दी फल देने लगे तो आपको ग्राफ्टेड(कलमी) पौधा ही चुनना चाहिए। कलमी पौधा आपका जल्दी ही फल देने के लिए तैयार हो जाता है। अगर आप देशी अंगूर का पौधा लगाने की सोच रहे हैं तो आपको इसके फल खाने के लिए बहुत इंतजार करना पड़ सकता है। इसीलिए जब भी आप अंगूर का पौधा लगाए तो ग्राफ्टेड पौधा ही लगाए।

मिटटी :- अंगूर को किसी भी मिटटी में उगाया जा सकता है। लेकिन अंगूर को अगर आप रेतीली या दोमट मिटटी में लगाते हैं तो बहुत अच्छी बात है क्योंकि रेतीली और दोमट मिटटी में पानी रुकता नहीं है जो अंगूर के लिए बहुत अच्छा होता है। हो सके तो अंगूर के पौधे को चिकनी मिटटी में न ही लगाए।

गमला :- अंगूर के पौधे को जब भी लगाए मिटटी या सीमेंट के गमले में ही लगाना चाहिए और गमला 1 फिट की गहराई का होना चाहिए जिससे अंगूर की जड़े अच्छे से फैल सकें। गमले की तली में एक छोटा सा शुराक कर देना चाहिए। इससे पानी का भराव नही होता है और पौधे की जड़ें सुरक्षित रहती हैं।

खाद :- अंगूर को आप जिस मिटटी में लगाने जा रहे हों उसमे पहले आपको वर्मी कम्पोस्ट को मिला लेना चाहिए।

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अंगूर के फायदे।

  • अँगूर में ग्लूकोज,मैग्नीशियम और साइट्रिक एसिड जैसे कई पोषक तत्त्व पाए जाते हैं। कई बीमारियों में राहत के लिए अंगूर का सेवन करना फायदेमंद होता है। टी.बी. कैंसर और ब्लड-इन्फेक्शन जैसी बीमारियों में बहुत फायदेमंद होता है। 
  • मधुमेह से पीड़ित लोगो को अंगूर का सेवन करना बहुत फायदेमंद होता है। ये ब्लड में शुगर के लेवल को कम करता है। अंगूर में आयरन भरपूर मात्रा में पाया जाता है। 
  • माइग्रेन के दर्द से जूझ रहे लोगो को अंगूर का जूस पीना बहुत फायदेमंद होता है। कुछ समय तक अंगूर के रस का नियमित सेवन करने से इस समस्या से निजात पाया जा सकता है। 
  • हाल ही की शोध में पाया गया की अंगूर के सेवन से ब्रेस्ट कैंसर नहीं होता है और दिल की बीमारियां भी दूर रहती हैं। 
  • खून की कमी को दूर करने के लिए एक गिलास अंगूर के जूस में 2 चम्मच शहद मिलाकर पीने से खून की कमी दूर हो जाती है। यह हीमोग्लोबिन को भी बढ़ाता है। 
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जानिए कपूर के पौधे के अद्भुद फायदे।

कपूर के फायदे

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1. गठिया रोग :- 500 मिलीलीटर तिल के तेल में 10 ग्राम कपूर मिलाकर शीशी में भर कर उसके बाद ढक्कन को बंद करके रख दें। जब कपूर तेल में अच्छी तरह से घुल-मिल जाये तो गठिया के जोड़ो पर अच्छी तरह से मालिश करें।

2. खाज-खुजली :- चमेली के तेल में कपूर मिलाकर शरीर पर लगाने से खुजली दूर होती है।

3. हाथ-पैरों की ऐठन :- कपूर को चार गुने सरसों के तेल में मिला कर हाथ-पैर पर मालिश करने से हाथ-पैर की ऐठन दूर होती है।

4. बिच्छू के डंक :- बिच्छू के डंक से पीड़ित रोगी को कपूर को सिरके में मिलाकर डंक वाली जगह पर लगाने से जहर नष्ट होने लगता है।

5. प्रसव का दर्द :- यदि प्रसव के समय तेज दर्द हो तो स्त्री को पके केले में 125 मिलीग्राम कपूर मिलाकर खिलाना चाहिए। इसके सेवन से बच्चे का जन्म आराम से हो जाता है।

6. आँखों के रोग :- आँखों के रोग से पीड़ित रोगी को भीमसेनी कपूर को दूध के साथ पीसकर उंगली से आँखों में लगाएं। इससे बहुत सारे रोग में फायदा होता है।

7. बच्चों के पेट में कीड़े होना :- यदि बच्चों के पेट में कीड़े हो गए हैं तो थोड़ा सा कपूर गुड़ में मिलाकर देने से कीड़े मरकर बाहर निकल जाते हैं। इससे पेट दर्द में जल्दी आराम मिलता है।

8. पलकों के बाल झड़ना :- कपूर को नीम्बू के रस में मिलाकर पलकों पर लगाने से पलकों के बालों का झड़ना बंद हो जाता है।

9. छाती का रोग :- कपूर को जला कर उसके धुएं को नाक के द्वारा लेने से छाती के रोग दूर हो जाते हैं।

10. बदहजमी :- कपूर और हींग को बराबर मात्रा में लेकर छोटी-छोटी गोलियाँ बना लें और इसकी 1-1 गोली दिन में 3 बार ठंडे पानी के साथ सेवन करें। इससे बदहजमी दूर हो जाती है।

11. मुहांसे :- चेहरे पर कील-मुहांसे हो गया हो तो 3 चम्मच बेसन, एक चौथाई चम्मच हल्दी, चुटकी भर कपूर व  नीम्बू का रस मिलाकर लेप बना लें। इस तैयार पेस्ट को चेहरे पर लेप करें और जब यह सूख जाये तो इसे ठन्डे पानी से धो लें। इससे चेहरे के मुहासे ठीक हो जायेंगे।

12. चेहरे के दाग-धब्बे :-  2 चम्मच पीसी हुई हल्दी, गुलाबजल और चुटकी भर कपूर को मिलाकर चेहरे पर रोजाना लेप लगाएं। इसके प्रयोग 15-20 दिनों तक करने से चेहरे के दाग-धब्बे दूर हो जाते हैं। इसका लेप करते समय ध्यान रखें कि लेप आँखों के पास न लगे।

13. दाँतों में कीड़े लगना :- कपूर को एल्कोहल में घोलकर, रुई में लगाकर दाँतों के गड्डों में रखने से दांत के कीड़े मर जाते हैं। कपूर कचरी को मंजन की तरह दाँतों पर मलने से दाँतों का दर्द और कीड़े खत्म हो जाते हैं।

14. दिल की धड़कन बढ़ना :- यदि दिल की धड़कन तेज हो गयी हो तो। रोगी को थोड़ा कपूर का सेवन कराएं। इसके सेवन से दिल की धड़कन सामान्य हो जाती है।

15. पायरिया :- पायरिया होने पर कपूर का टुकड़ा पान में रखकर खूब चबाएं लेकिन चबाते समय ध्यान रखें कि रस अंदर न जाये। लार व रस को बाहर थूकते रहें। इसका प्रयोग काफी दिनों तक करते रहने से पायरिया का रोग ठीक हो जाता है।

                        देशी घी में कपूर मिलाकर प्रतिदिन 3 से 4 बार दांत व मसूड़ों पर धीरे धीरे मलें तथा लार को गिरने दें एवं थोड़ी देर बाद कुल्ला कर लें। इससे पायरिया रोग ठीक होता है।

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कौन-कौन से पौधे शुभ माने जाते हैं और उन्हें घर में जरूर लगाना चाहिए।

हमारे घर के आस पास कई सारे पेंड पौधे लगे होते हैं वही कुछ पेंड पौधों को अशुभ माना जाता है तो कुछ को शुभ भी मन जाता है। तो आज हम आपको कुछ ऐसे पेंड पौधों के बारे में जानकारी देंगे जिनको घर में लगाना शुभ होता है और घर से नकारात्मक शक्तियों को दूर रखते हैं।

तुलसी का पौधा

हिन्दू धर्म में तुलसी के पौधे को तो एक तरह से लक्ष्मी का रूप माना गया है। कहा जाता है जिस भी घर में तुलसी की पूजा अर्चना होती है उस घर पर भगवान विष्णु की कृपा दृष्टि सदैव बनी रहती है। तुलसी का पौधा हमारे घर को नकारात्मक चीजों से दूर रखता है और यह हमारे आस पास के वातावरण को भी शुद्ध रखने की ताकत रखता है। 

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शमी का पौधा

शमी का पौधा घर में होना भी बहुत शुभ मन जाता है। शमी के पौधे के बारे में तमाम भ्रांतियां मौजूद हैं और लोग आम तौर पर इसे लगाने से डरते-बचते हैं। ज्योतिष में इसका सम्बन्ध शनि देव से माना जाता है और शनि की कृपा पाने के लिए इस पौधे की लगातार पूजा-उपासना की जाती है। 

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गुड़हल

गुड़हल का पौधा ज्योतिष में सूर्य और मंगल से सम्बन्ध रखता है, गुड़हल का पौधा घर में कही भी लगा सकते हैं परन्तु ध्यान रखें कि उसको पर्याप्त धूप मिलना जरुरी है। गुड़हल का फूल जल में डालकर सूर्य को अर्घ्य देना आँखों, हड्डियों की समस्या को दूर करता है और नाम और यश प्राप्ति में लाभकारी होता है।

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केले का पौधा

केले का पौधा हमे कई तरह से लाभ पहुँचता है। केले का पौधा धार्मिक कारणों से भी बहुत महत्व पूर्ण माना गया है। गुरुवार को इसकी पूजा भी होती है और अक्सर पूजा-पाठ के समय केले के पत्ते का ही इस्तेमाल किया जाता है।

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बांस का पौधा

बांस का पौधा घर में लगाना अच्छा माना जाता है। यह समृद्धि और आपकी सफलता को ऊपर ले जाने की क्षमता रखता है। अगर आपकी तमाम कोशिशों के बाद भी आपको अपने कार्यक्षेत्र में मनचाही सफलता नहीं मिल रही तो आपको अपने भवन/कार्यालय में बांस का पौधा लगाना चाहिए। 
फेंगशुई में बांस के पौधे को बहुत महत्व दिया गया है। बांस संसार का अकेला ऐसा पौधा है जो हर वातावरण में हर मुश्किल के बाद भी तेजी से बढ़ता है। इसीलिए इसे उन्नति, दीर्घआयु और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। 

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मनीप्लान्ट

ऐसी मान्यता है कि घर में मनीप्लान्ट लगाने से सुख-समृद्धि का वास होता है। इसी के चलते लोग अपने घरों में यह पौधा जरूर लगाते हैं। मनीप्लान्ट का पौधा घर में कही भी आसानी से लग जाता है और इसका बहुत रखरखाव भी नहीं करना पड़ता है।

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बेलपत्र का पौधा

बेल के पौधे को तो आप सभी जानते होंगे क्योंकि सावन के महीने में सभी लोग भगवान शंकर जी की पूजा बेलपत्र से ही करते हैं। अगर यह पौधा आपके घर में या आस-पास कही भी लगा हो तो बहुत ही शुभ माना जाता है। 

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बरगद का पेंड 

बरगद को पेड़ों का राजा कहा जाता है। बरगद को शुभ तो माना ही गया गया इसकी मई के महीने में भारतीय नारियाँ बरसैता पूजा भी करती हैं। 

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गर्मियों में किस तरह के पेंड-पौधे लगाने चाहिए।

अगर आप भी गर्मी के दिनों में अपने घर को ठंडा-ठंडा कूल-कूल रखना चाहते हैं तो ये पौधे आपको जरूर लगाने चाहिए।

जब आपके आस-पास का वातावरण तप रहा होता है तब आप अपने घर में कुछ विशेष तरह के पेंड पौधे लगाकर घर को ठंडा रख सकते हैं। आप इन्हे घर की बालकनी में या खिड़की के बॉक्स में विशेष तरह के पौधे लगा सकते हैं।

ये पौधे घर की हवा को ताजा रखते हैं, हवा को शुद्ध रखते हैं और घर को भी ठंडा रखते हैं। ऐसे अनेक तरह के पौधे हैं जो हवा से विषैले पदार्थों को दूर करके शुद्ध हवा देते हैं और गर्मी को भी सोखते हैं तो यहाँ हम ऐसे ही पौधों के बारे में बता रहे हैं जो गर्मी को दूर करते हैं और आसपास के वातावरण को ठंडा रखते हैं। 

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Banyan live Plant baragad ka podha

China Palm Live plant China Palm ka podha

Fikus black Live Plant faikus black ka podha

Fishtail palm live Plant fishtail palm ka podha

Himalayan live Plant himalayan ka podha

Jamiya paam Live Plant jamiya paam ka podha

Golden juniperus Live Plant golden juniperus ka podha

Bonsai adenium live flower plant

Lucky bamboo live plant 

Pencil Live Plant pencil plant ka podha

Siforatiya palm live Plant siforatiya palm ka podha

Silver youka live Plant silver youka ka podha

Zed Live Plant for Home and Garden, Green

White sandalwood live plant chandan ka podha

Syngonium live Plant syngonium ka podha

Victoria live Plant victoria ka podha

camphor live Plant kapoor ka podha

Capsicum live plant ( shimla mirch ka podha)

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गर्मियों में बगीचे की देखभाल कैसे करें।

पौधों को भी गर्मी लगती हैं तो आईये जानें इस गर्मी में कैसे अपने बगीचों को आप हरा भरा रख सकते हैं। 

जैसे-जैसे गर्मियां नजदीक आती जाती हैं, वैसे-वैसे बगीचे से प्रेम करने वालों की चिंता भी बढ़ती जाती है। उन्हें इस बात की चिंता हो जाती है कि कहीं उनके हरे-भरे पौधे सूख न जायें। उन्हें अपने बगीचे खोने का डर सताने लगता है। गर्मियों में बागबानी करना कोई आसान काम नहीं है। अगर आप नये-नये बागबानी करने वालों में से एक हैं तो, आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा। 

आपका बगीचा हमेशा सुन्दर बना रहे इसके लिए आपको कई बातों का ध्यान रखना होगा। पौधे पूरी गर्मी  हरे भरे बने रहें और आपकी मेहनत सफल हो जाये, इसके लिए जानिए जरुरी टिप्स। 

1. अपने बगीचे से कीजिये थोड़ी जान-पहचान :- अगर आप नए-नए बागबान बने है तो, सबसे पहले अपने बगीचे की पहचान कर लें। पौधा लगाने की जगह, पानी का कनेक्शन, पौधे की खूबी आदि के बारे में जान लें। यह बहुत ही सिंपल टिप है जो आपको गर्मी के समय बगीचे की बागबानी करने में मदद करेगा। 

2. पौधों को तर रखें :- गर्मी के समय वातावरण पौधों से सारी नमी खींच लेता है। पौधों की जड़ों में से पानी सूख जाता है और इससे पौधों को जितना पोषण मिलना चाहिए वह नहीं मिल पाता है तो आप सुबह 10 बजे से पहले और शाम को 4 बजे के बाद पानी डालिये। गर्मियों में यह समय बहुत अच्छा रहता है। लगातार पानी डालते रहने से पौधे हमेशा फ्रेश रहेंगे, लेकिन पौधों में पानी उनकी जरुरत के हिसाब से ही डाले। 

3. कीटनाशक का प्रयोग :- गर्मियों के दिनों में बगीचे और पेंड-पौधों को कीट से दूर रखना चाहिए। इसके लिए प्राकृतिक कीटनाशक का प्रयोग करना ठीक रहेगा। एक कीट लगा पौधा पुरे बगीचे को खराब कर सकता है।

4. पौधों को छाया में रखें :- कुछ पौधे ऐसे होते हैं जो सूरज की तेज धुप को नहीं सह सकते। इन पौधों को बचाने के लिए छाँव के लिए काम आने वाले कपड़ों पर कुछ पैसे खर्च कीजिये। ये आपको ऑनलाइन या फिर किसी भी बागबानी की दुकान से मिल जायेंगे। या फिर आप उन पौधों को कम धूप वाली जगह पर रख दें। 

5. मिट्टी की नमी का ख्याल रखें :- हमारे पौधों के लिए अधिक पानी भी नुकसान देह होता है। पानी को डालने से पहले मिटटी की नमी को परखें। पानी तब तक न डालें जब तक मिटटी सूखी न हो या फिर टहनियों या पत्तों पर पानी छिड़क कर छोड़ दें। 

6. स्थिर पानी नुकसान देह होता है :- पौधों के पास पानी जमा ना होने दें। चाहे वो मिटटी में हो या गमले में। यह मच्छरों को आमंत्रित करता है और साथ ही आपके प्यारे पौधे को भी आवश्यकता से अधिक पानी पहुँचाता है। 

7. खाद का उपयोग करें :- पानी के अलावा , खाद हमारे पौधे को स्वस्थ और नम बनाये रखता है, खासकर फल और फूल वाले पौधों को। आप खाद को घर पर आसानी से बना सकते हैं या फिर बाजार से खरीद कर भी ला सकते हैं। 

8. काट-छांट :- जिस तरह हमारे बालों के लिए काट-छांट बहुत जरुरी और लाभदायक होता है। इसी तरह पौधों को भी इसकी जरुरत पड़ती है। सूखे और मरे पत्तों, टहनियों और फूलों को सप्ताह में एक दिन जरूर छांटे।

9. छत पर की गयी बागवानी आपको ठंडक देगी :- अगर आप बागवानी में नौसिखिये हैं या अभी तक आपका बगीचा तैयार नहीं हुआ तो आप अपने छत से शुरुवात कीजिये। मिट्टी आपके घर को प्राकृतिक रूप से ठंडक देगी और नीचे प्लास्टिक की तह दे देने से आपका घर रिसाव से भी बचेगा।

10. मौसमी पौधे मौसम के अनुसार ढल जाते हैं :- पौधे मौसम के अनुसार बढ़ते हैं। कुछ जाड़ों में बढ़ते हैं तो कुछ गर्मियों में। आवश्यकता अनुसार पानी और खाद मिलने पर मिर्च, खीरे, बैंगन और तरबूज इस मौसम के लिए बेहतर विकल्प हैं और इन्हें हम गमलों में भी उगा सकते हैं।