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How do I grow more flowers on my rose plants?

Rose is a woody perennial flowering plant in the family of Rosaceae. There are more than 100’s of species all over the world. It is native to Asia, Europe, North America, and North Western Africa and is best known as ornamental plants for their flowers that spread beautiful fragrances.

They have major applications in perfumes, oils, and powders by crushing rose petals. Rose water is also used in cosmetics, medicinal practices. It is also used in cooking dishes like Barfi, Turkish delight, gulab jamun, halva, jams, and jellies.

To get more flowers on your rose plant, you must follow these steps.

*Choosing the right variety.
Select the desired rose variety you wish to grow. Purchase them from nursery or online. Avoid growing rose variety such as shrubs and climbing roses that make it difficult to grow in the container.

*Suitable Soil.
Roses grow best in moist well-drained You can also mix potting, loam soil and organic matter that is rich in compost or manure. Now place the soil in a pot or container before planting.

*Water and Sunlight.
Water the plant regularly (in sufficient amounts) so that the soil is moist. Avoid overwatering as it can damage the plant growth. Sunlight is an essential factor for all plants to thrive. Place the pot in sunlight for 8 hours a day. It is responsible for photosynthesis in plants and flower blooming.

*Nutrition deficient nutrient.
Deficiency is due to the lack of nutrients like Nitrogen, Potassium, and Phosphorus in rose plants. To overcome this problem you need to fertilize the plant that results in better growth.

Nitrogen: Promotes the growth of foliage
Phosphorus: Strengthens both roots and flowers
Potassium: Overall plant health

*Fertilizing.
Though roses are heavy feeders they can survive without fertilizing. If you wish fertilize them, prefer commercial sprays or homemade organic methods. Use the synthetic fertilizer that helps to grow healthy roots, colorful blooms and supply nutrients to the rose plants.

*Pests and Diseases.
Pests like spider mites, beetles, rose chafers and leafcutter bees damage the plant by eating leaves, sticks, and webs on roses stems and leaves. Diseases like powdery mildew, leaf drop, yellow leaves, black spot, canker are may be due to insufficient amounts of water, sunlight, nutrients to the reduce the effect of pests and diseases keep rose bushes clean, increase air circulation or sprinkle a solution containing baking soda, oil and warm water on rose plants.

*Harvesting.
The plant takes 6-8 weeks for flowering when you plant it in a pot. Harvest rose when flowers bloom especially in a spring or summer season. Select the rose along with the stem to harvest using scissors. Place it in a glass of water until you are ready to use them.

*Rose Plant Care.
Remove dead leaves and canes that help to reduce pests.
Feed rose plants on regular basis with mulch or fertilizers.
Make sure you provide sunlight for a minimum of 6-8 hours a day.
While harvesting wear gloves to protect your hands from thorns.
Clean the rose beds to prevent bacterial and fungal diseases.
When you transplant roses to outdoors add plenty of organic matter such as compost or manure to the soil.

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How to Graft Roses – Everything you need to know about Rose Grafting

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Growing Mango Tree in a Pot

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काजू के पौधे को घर में कैसे लगाए और कैसे ढेर सारे काजू पाये।

काजू का परिचय :- काजू एक प्रकार का पेंड है जिसका फल सूखे मेवे के लिए बहुत लोकप्रिय है। काजू का आयात-निर्यात एक बड़ा व्यापार भी है। काजू से कई प्रकार की मिठाइयाँ और अन्य चीजे बनायीं जाती हैं। काजू का पेंड तेजी से बढ़ने वाला पेंड है जो काजू और काजू का बीज पैदा करता है। काजू की उत्त्पति ब्राजील में हुई है। लेकिन आज काजू को दुनिया भर में उगाया जाता है। सामान्य तौर पर काजू का पेंड 13-14 मीटर तक होता है। हालाँकि काजू की बौनी कल्टीवर प्रजाति जो 6 मीटर की ऊंचाई तक होती है। जल्दी तैयार होने और ज्यादा उपज देने की वजह से बहुत फायदेमंद साबित हो रहा है।

सही पौधा :- आप जब भी काजू को अपने घर में लगाए तो हायब्रिड पौधा ही लगाए। यह घर के गमलों में आसानी से उग जाता है और कुछ ही समय के अंदर हमें इससे काजू प्राप्त होने लगते हैं।

मिटटी और जलवायु :- काजू को अपने पुरे भारतवर्ष में कही भी उगाया जा सकता है। जिन इलाको में तापमान 20 डिग्री सेल्शियस के ऊपर होता है वहा काजू की फसल बहुत अच्छी होती है। काजू को किसी भी प्रकार की मिटटी में उगाया जा सकता है। लेकिन अगर काजू को रेतीली लाल मिटटी में उगाया जाये तो बहुत अच्छे परिणाम मिल सकते हैं। 

गमला :- काजू की जड़ें अधिक फैलती हैं। अतः जब भी काजू के पेंड को लगाए तो कम से कम 2 फ़ीट के गमले में ही लगाए। पौधा अच्छे से ग्रोथ कर पायेगा।

काजू लगाने का सही समय :- काजू को किसी भी मौसम में लगाया जा सकता है। लेकिन दक्षिण एशियाई क्षेत्र में जून से दिसम्बर तक का समय उत्तम माना जाता है। 

खाद और उर्वरक :- काजू की फसल खाद डालने पर अच्छा परिणाम देती है। इसलिए पर्याप्त मात्रा में सही वक्त पर खाद और उर्वरक डालना बेहद जरुरी है। खाद के रूप में वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग कर सकते हैं। 

काजू के प्रकार :- काजू की कई उन्नत और हायब्रिड या वर्णसंकर किस्मे उपलब्ध हैं। अपने क्षेत्र या हमारी वेबसाइट Bonsai Plants Nursery.com से भी आप काजू को उचित दरों पर प्राप्त कर सकते हैं। 

काजू के स्वास्थ्य संबंधी फायदे 

  •  ह्रदय रोग से लड़ने में सक्षम 
  • उच्च रक्तदाब को कम करने में 
  • तंत्रिका तंत्र को मजबूत करने में 
  • पित्त-पथरी को रोकने में 
  • वजन को कम करने में
  • हड्डियों के लिए फायदेमंद 
  • कोलोन, प्रोस्टेट और लिवर कैंसर को रोकने में सहायक 
  • स्वस्थ दिमाक के स्वस्थ संचालन में सहायक 
  • मधुमेह के खतरे को कम करता है। 
  • त्वचा के स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। 
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घर में सेब का पौधा कैसे लगाएं और कैसे ढेर सारे फल पायें।

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सेब फलों का राजा तो नहीं पर राजा से कुछ कम भी नहीं! फलों में सबसे ज्यादा खेती सेब कि की जाती है। इसके 2 बड़े कारण हैं। 

  • पहला तो ये की सेब को लम्बे समय तक स्टोर कर के रखा जा सकता है। 
  • दूसरा ये की सेब स्वास्थ्य का सबसे बड़ा खजाना है जो की जीरो कैलोरी में हमें भरपूर पौष्टिकता देता है बल्कि तो ” an apple a day keeps the doctor away” हमें पता ही है। 

सेब का परिचय :- सेब यूरोप के जरिये पूरी दुनिया में फैला। अंग्रेजों ने चाय की तरह ही सेब को भी भारत लाये। शुरुआत में 100 किस्मो के पौधे हिमाचल प्रदेश में लगाए गए। जो की यहाँ से शुरू होकर धीरे-धीरे पुरे हिमालय क्षेत्र में फैल गया। अब की अगर बात की जाये तो जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के बाद अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड एवं दक्षिण भारत के नीलगिरि पहाड़ियों में भी इसकी खेती होती है। हालाँकि वैज्ञानिक ये भी कहते हैं कि सेब अगर सबसे पहले पैदा हुए थे तो वो जगह थी मध्य एशियाई देश कजाखिस्तान में कहा जाता है कि आज भी वहाँ सैंकड़ों नस्ले अब भी फल-फूल रही है। 

सही पौधे का चयन :- सबसे पहले तो आपको सही पौधे का चयन करना जरुरी होता है। आप अक्सर नर्सरी से पौधा लाकर लगा देते हैं और ये जानने की कोशिश भी नहीं करते की ये किस किस्म का पौधा है देशी है या ग्राफ्टेड(कलमी ) है। आपको घर के पौधे के लिए हमेशा ग्राफ्टेड पौधे ही लगाने चाहिए क्योंकि ये गमले में बहुत ही आसानी से उगाये जा सकते है और बहुत ही कम वक्त में फल देने लगते हैं। 

मिटटी कैसी हो :- सेब के पौधे के लिए सबसे अच्छी मिटटी रेतीली लाल मिटटी मानी जाती है। मुख्य्तः सेब की खेती को बलुई मिटटी और दोमट मिटटी में भी देखा गया है। तो यह कहा जा सकता है की सेब को बलुई और दोमट मिटटी में भी ऊगा सकते हैं। 

गमला :- अगर आप घर में सेब का पेंड गमले में लगा रहे हैं तो गमले की गहराई कम से कम 2 फ़ीट तक होनी चाहिए क्योंकि सेब की जड़ें गहराई तक जाती है। 

लगाने का सही समय :- सेब को वैसे तो किसी भी जलवायु या मौसम में लगाया जा सकता है लेकिन अगर सेब को जनवरी और फरवरी के महीने में लगाना और भी अच्छा होता है। 

याद रखने वाली बातें 

  • हमेशा रोग प्रतिरोधी पौधों का ही उपयोग करना चाहिए। 
  • हमेशा अच्छी जड़ प्रणाली वाले एक साल के पेड़ ही खरीदने चाहिए। 
  • लगाने से पहले पौधों की जड़ों को पानी में भिगो देना चाहिए। 
  • पौधा लगाने के बाद तुरंत पानी डाले। 
  • सेब के पौधे को बड़े जंगली पौधों के पास न लगाए। 
  • नया पौधा लगाने के बाद ग्राफ्टिंग बिंदु से लगभग 30 सेंटीमीटर ऊपर से काट देना चाहिए। 

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आप घर में अंगूर के पौधे को कैसे उगा सकते हैं।

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हमारे देश में व्यावसायिक रूप से अंगूर की खेती पिछले कई छः दशकों से की जा रही है आज महाराष्ट्र में सबसे अधिक जगहों पर अंगूर की खेती की जा रही है। खेती के सा-साथ लोग अंगूर की बेलों को अपने घरों में भी लगा रहे है।

      तो आज हम ये बताने जा रहे है कि अंगूर के पौधे को घर में कैसे लगाए और उनसे फल कैसे प्राप्त करें।

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पौधे की परख :- सबसे जरुरी बात जो है वो ये की आपने सही पौधा चुना है या नहीं। आप अगर चाहते हैं कि आपका अंगूर का पौधा जल्दी से जल्दी फल देने लगे तो आपको ग्राफ्टेड(कलमी) पौधा ही चुनना चाहिए। कलमी पौधा आपका जल्दी ही फल देने के लिए तैयार हो जाता है। अगर आप देशी अंगूर का पौधा लगाने की सोच रहे हैं तो आपको इसके फल खाने के लिए बहुत इंतजार करना पड़ सकता है। इसीलिए जब भी आप अंगूर का पौधा लगाए तो ग्राफ्टेड पौधा ही लगाए।

मिटटी :- अंगूर को किसी भी मिटटी में उगाया जा सकता है। लेकिन अंगूर को अगर आप रेतीली या दोमट मिटटी में लगाते हैं तो बहुत अच्छी बात है क्योंकि रेतीली और दोमट मिटटी में पानी रुकता नहीं है जो अंगूर के लिए बहुत अच्छा होता है। हो सके तो अंगूर के पौधे को चिकनी मिटटी में न ही लगाए।

गमला :- अंगूर के पौधे को जब भी लगाए मिटटी या सीमेंट के गमले में ही लगाना चाहिए और गमला 1 फिट की गहराई का होना चाहिए जिससे अंगूर की जड़े अच्छे से फैल सकें। गमले की तली में एक छोटा सा शुराक कर देना चाहिए। इससे पानी का भराव नही होता है और पौधे की जड़ें सुरक्षित रहती हैं।

खाद :- अंगूर को आप जिस मिटटी में लगाने जा रहे हों उसमे पहले आपको वर्मी कम्पोस्ट को मिला लेना चाहिए।

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अंगूर के फायदे।

  • अँगूर में ग्लूकोज,मैग्नीशियम और साइट्रिक एसिड जैसे कई पोषक तत्त्व पाए जाते हैं। कई बीमारियों में राहत के लिए अंगूर का सेवन करना फायदेमंद होता है। टी.बी. कैंसर और ब्लड-इन्फेक्शन जैसी बीमारियों में बहुत फायदेमंद होता है। 
  • मधुमेह से पीड़ित लोगो को अंगूर का सेवन करना बहुत फायदेमंद होता है। ये ब्लड में शुगर के लेवल को कम करता है। अंगूर में आयरन भरपूर मात्रा में पाया जाता है। 
  • माइग्रेन के दर्द से जूझ रहे लोगो को अंगूर का जूस पीना बहुत फायदेमंद होता है। कुछ समय तक अंगूर के रस का नियमित सेवन करने से इस समस्या से निजात पाया जा सकता है। 
  • हाल ही की शोध में पाया गया की अंगूर के सेवन से ब्रेस्ट कैंसर नहीं होता है और दिल की बीमारियां भी दूर रहती हैं। 
  • खून की कमी को दूर करने के लिए एक गिलास अंगूर के जूस में 2 चम्मच शहद मिलाकर पीने से खून की कमी दूर हो जाती है। यह हीमोग्लोबिन को भी बढ़ाता है। 
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जानिए कपूर के पौधे के अद्भुद फायदे।

कपूर के फायदे

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1. गठिया रोग :- 500 मिलीलीटर तिल के तेल में 10 ग्राम कपूर मिलाकर शीशी में भर कर उसके बाद ढक्कन को बंद करके रख दें। जब कपूर तेल में अच्छी तरह से घुल-मिल जाये तो गठिया के जोड़ो पर अच्छी तरह से मालिश करें।

2. खाज-खुजली :- चमेली के तेल में कपूर मिलाकर शरीर पर लगाने से खुजली दूर होती है।

3. हाथ-पैरों की ऐठन :- कपूर को चार गुने सरसों के तेल में मिला कर हाथ-पैर पर मालिश करने से हाथ-पैर की ऐठन दूर होती है।

4. बिच्छू के डंक :- बिच्छू के डंक से पीड़ित रोगी को कपूर को सिरके में मिलाकर डंक वाली जगह पर लगाने से जहर नष्ट होने लगता है।

5. प्रसव का दर्द :- यदि प्रसव के समय तेज दर्द हो तो स्त्री को पके केले में 125 मिलीग्राम कपूर मिलाकर खिलाना चाहिए। इसके सेवन से बच्चे का जन्म आराम से हो जाता है।

6. आँखों के रोग :- आँखों के रोग से पीड़ित रोगी को भीमसेनी कपूर को दूध के साथ पीसकर उंगली से आँखों में लगाएं। इससे बहुत सारे रोग में फायदा होता है।

7. बच्चों के पेट में कीड़े होना :- यदि बच्चों के पेट में कीड़े हो गए हैं तो थोड़ा सा कपूर गुड़ में मिलाकर देने से कीड़े मरकर बाहर निकल जाते हैं। इससे पेट दर्द में जल्दी आराम मिलता है।

8. पलकों के बाल झड़ना :- कपूर को नीम्बू के रस में मिलाकर पलकों पर लगाने से पलकों के बालों का झड़ना बंद हो जाता है।

9. छाती का रोग :- कपूर को जला कर उसके धुएं को नाक के द्वारा लेने से छाती के रोग दूर हो जाते हैं।

10. बदहजमी :- कपूर और हींग को बराबर मात्रा में लेकर छोटी-छोटी गोलियाँ बना लें और इसकी 1-1 गोली दिन में 3 बार ठंडे पानी के साथ सेवन करें। इससे बदहजमी दूर हो जाती है।

11. मुहांसे :- चेहरे पर कील-मुहांसे हो गया हो तो 3 चम्मच बेसन, एक चौथाई चम्मच हल्दी, चुटकी भर कपूर व  नीम्बू का रस मिलाकर लेप बना लें। इस तैयार पेस्ट को चेहरे पर लेप करें और जब यह सूख जाये तो इसे ठन्डे पानी से धो लें। इससे चेहरे के मुहासे ठीक हो जायेंगे।

12. चेहरे के दाग-धब्बे :-  2 चम्मच पीसी हुई हल्दी, गुलाबजल और चुटकी भर कपूर को मिलाकर चेहरे पर रोजाना लेप लगाएं। इसके प्रयोग 15-20 दिनों तक करने से चेहरे के दाग-धब्बे दूर हो जाते हैं। इसका लेप करते समय ध्यान रखें कि लेप आँखों के पास न लगे।

13. दाँतों में कीड़े लगना :- कपूर को एल्कोहल में घोलकर, रुई में लगाकर दाँतों के गड्डों में रखने से दांत के कीड़े मर जाते हैं। कपूर कचरी को मंजन की तरह दाँतों पर मलने से दाँतों का दर्द और कीड़े खत्म हो जाते हैं।

14. दिल की धड़कन बढ़ना :- यदि दिल की धड़कन तेज हो गयी हो तो। रोगी को थोड़ा कपूर का सेवन कराएं। इसके सेवन से दिल की धड़कन सामान्य हो जाती है।

15. पायरिया :- पायरिया होने पर कपूर का टुकड़ा पान में रखकर खूब चबाएं लेकिन चबाते समय ध्यान रखें कि रस अंदर न जाये। लार व रस को बाहर थूकते रहें। इसका प्रयोग काफी दिनों तक करते रहने से पायरिया का रोग ठीक हो जाता है।

                        देशी घी में कपूर मिलाकर प्रतिदिन 3 से 4 बार दांत व मसूड़ों पर धीरे धीरे मलें तथा लार को गिरने दें एवं थोड़ी देर बाद कुल्ला कर लें। इससे पायरिया रोग ठीक होता है।