Posted on Leave a comment

पलाश के बारे में सटीक और सम्पूर्ण जानकारी।

 विविध नाम :

ढाक ,पलास ,तेसू ,रक्त पुष्प ,धारा ,सुपर्णी ,त्रिपत्रक।  

सामान्य परिचय : 

पलाश का पेड़ प्राय :पुरे देश में पाया जाता है।  हिन्दुओं में ऐसी मान्यता है कि जब देवताओं ने कामदेव को भगवान शंकर की समाधि भंग करने के लिये भेजा था तो कामदेव ने पलाश के पेड़ पर ही चढ़कर भगवान शंकर को पुष्पबाण मारा था।  इस प्रकार से जब भगवान शंकर की समाधि भंग हो गई तो उनहोंने क्रोधमें अपना तीसरा नेत्र खोलकर कामदेव को भस्म कर दिया, तब साथ में पलाश का पेड़ भी पूर्णतः भस्म हो गया था।  बाद में भगवान शंकर ने पलाश को पुनर्जीवित कर दिया था लेकिन उसको किसी भी प्रकार की गंध नहीं होती है।  लेकिन फिर भी इसके गुणों के कारण इसे बहुत अधिक सम्मान दिया जाता है।  

स्वरूप : 

पलाश का वृक्ष काफी बड़ा होता है।  इसके पत्ते भी बड़े -बड़े और गोल होते हैं।  इस पर मार्च -अप्रैल के महीने में फूल आते हैं जो कि लाल -पीले रंग के होते हैं।  इसका फल चपटा होता है और उसमे एक बीज होता है।  

गुण -धर्म : 

यह कसैला ,दीपन ,चटपटा ,दस्तावर और वीर्य बढ़ाने वाला होता है।  कुछ वैघों का कथन है कि इसके द्वारा बुखार (ज्वर )को ठीक करने की औषधि भी बनाई जा सकती है।

औषधीय प्रयोग :

विविध रोगों में – पलाश का उचित प्रयोग करने से घाव, दाद, रक्त – दोष, कोढ़, कृमि, संग्रहणी, गुल्म, मूत्रकृच्छ, आदि रोगों में आराम होता है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *