अगर आप कोई भी पौधा लगाते हो तो आपको दो चीजों का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है बीज और खाद। आपको एक बात का ध्यान देने की जरूरत यह है कि पौधों को कौन-सी खाद कब और कैसे दें। सभी खाद सभी फसल या पौधों के लिए नहीं होती है। कभी – कभी गलत खाद का प्रयोग करने से फसल या पौधे की नुकसानी के साथ – साथ खर्च भी बढ़ जाता है।
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तो आज हम आपको कुछ ऐसी ही खाद के बारे में बताने जा रहें हैं। जिनका उपयोग आप अपने पौधों और फसलों में कर सकते हैं।
1. NPK
NPK, NPK का फुलफॉर्म है नाइट्रोजन – फॉस्फोरस – पोटैशियम। NPK खाद अक्सर तीन तरह के अनुपात में मिलते हैं जो खाद के पैकेट पर लिखा रहता है। 18 : 18 : 18 , 19 : 19 : 19 और 12 : 32 : 16 के अनुपात में रहते हैं। ज्यादातर किसान 12 : 32 : 16 का ही प्रयोग करते हैं। इसमें 12 % नाइट्रोजन, 32 % फॉस्फोरस और 16 % पोटैशियम होता है। अभी कुछ समय से जिंक कोटेड रहने पर 0.5 % जिंक की मात्रा रहती है। इसमें 12 % नाइट्रोजन रहने के कारण पौधों के विकास के लिए उपयोग कर सकते हैं। लेकिन यह मात्रा बहुत कम है इसीलिए पौधों के विकास के लिए उपयोग करना खर्चीला होगा। फॉस्फोरस का प्रयोग किसान जड़ वाले पौधों के लिए कर सकते हैं। जैसे – गाजर, आलू, प्याज, मूली इत्त्यादि के लिए उपयोग कर सकते हैं। लेकिन NPK में फॉस्फोरस की मात्रा DAP से 14 % कम होती है।
उपयोग/Use
- NPK में 16 % पोटैशियम रहने के कारण इस खाद को किसी भी पौधों के लिए उपयोग किया जा सकता है।
- इस खाद का प्रयोग उसी समय करें जब पौधा फूल से लगने के समय में हो। जो की फूल से फल देता है।
- जब पौधे की पत्तियाँ पीली पड़ने लगें तो समझ जाईये की पोटैशियम की कमी हो गयी है। तब आप NPK का उपयोग कर सकते हैं।
लेकिन इस बात का ध्यान देना जरुरी है की इसमें मात्र 16 % ही पोटैशियम रहता है। अगर इसके जगह किसी लिक्विड आधारित पोटैशियम का प्रयोग करते हैं जिसमें 16 % से ज्यादा मात्रा हो तो वह ज्यादा उपयोगी रहेगा।
2. यूरिया
यूरिया में केवल नाइट्रोजन होता है। नाइट्रोजन की कमी से पौधे का विकास कम होता है तथा पुरानी पत्तियाँ पीली पड़ने लगती है। यूरिया पौधों के विकास तथा पत्ती को हरा रखती है। जिससे पौधों को प्रकाश संश्लेषण में आसानी होती है। यह खाद सभी पौधों व फसल के लिए जरुरी है। जिससे की पौधों का विकास ज्यादा से ज्यादा हो सके। एक बात यह भी ध्यान देने की जरुरत है कि यूरिया के ज्यादा प्रयोग से पत्तियाँ मुरझा भी जाती हैं। इसके साथ ही इस खाद का प्रयोग SSP के साथ भी कर सकते हैं क्योंकि SSP में नाइट्रोजन 0 % रहता है इसके साथ यूरिया का प्रयोग करने से SSP खाद DAP से ज्यादा उपयोगी हो जाता है।
3. DAP
इस खाद की शुरुआत 1960 से हुई है और कम समय में ही पुरे देश के साथ – साथ विश्वप्रसिद्ध हो गयी है। इसका पूरा नाम Diammonium Phosphate है। यह एक रासायनिक खाद है तथा अमोनिया आधारित खाद है। DAP में 18 % नाइट्रोजन, 46 % फॉस्फोरस रहता है। इस 18 % नाइट्रोजन में से 15.5 % अमोनियम नाइट्रेट होता है तथा 46 % फॉस्फोरस में से 39.5 % फॉस्फोरस पानी में घुलनशील होता है।
फॉस्फोरस से पौधों की जड़ें मजबूत होती हैं इसीलिए इस खाद का प्रयोग दो तरह के पौधों के लिए किया जाता है। जड़ आधारित पौधों तथा फूल आधारित पौधों के लिए। जैसे – आलू, गाजर, मूली, शकरकंद, प्याज इत्यादि। इसके आलावा फूल या फूल वाले पौधों के लिए फास्फोरस का उपयोग करते हैं। इस खाद से अनाज वाले फसल को ज्यादा कोई फायदा नहीं होता है। सिवाय की उस फसल की जड़ मजबूत और फैलती है। DAP खाद में 18 % नाइट्रोजन रहने के कारण किसान इसे पौधों के विकास के लिए उपयोग कर सकते हैं। लेकिन यह बहुत खर्चीला होगा तथा नाइट्रोजन की मात्रा भी कम मिलेगी।
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खाद या उर्वरकों का लाभ लेने के लिए क्या करें ?
- फसलों का उत्पादन बढ़ाने में उर्वरकों का अत्यंत ही महत्वपूर्ण योगदान है, परन्तु उर्वरक के उपयोग का पूरा लाभ तभी मिलता है जब मिट्टी जाँच के आधार पर संतुलित उर्वरक के प्रयोग पर ध्यान दिया जाये। प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
- अनुशंसित मात्रा की आधी मात्रा डालने से फसलों का उत्पादन काफी कम हो जाता है।
- अनुशंसित उर्वरकों की मात्रा से अधिक डालने पर उत्पादकता में वृद्धि नहीं होती है साथ ही साथ यह लाभकारी नहीं होता।
- आम्लिक मिट्टियों के अम्लीयता के निराकरण के लिए चुने का व्यवहार आवश्यक है। चुने के प्रयोग के बाद ही संतुलित उर्वरक का व्यवहार लाभकारी होता है।
- जैविक खाद या कम्पोस्ट के साथ-साथ संतुलित उर्वरकों के प्रयोग करने पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहे एवं वर्षों तक अच्छी उपज प्राप्त की जा सके।